कांग्रेस और विपक्षी एकता

Last Updated 16 May 2023 12:45:22 PM IST

कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Election) में कांग्रेस (Congress) को जिस तरह का प्रचंड जनादेश मिला है उससे कई तरह के सवाल और विमर्श पैदा हुए हैं।


कांग्रेस और विपक्षी एकता

सबसे अधिक चर्चा व्यापक स्तर पर BJP के विरुद्ध विपक्षी एकता को लेकर हो रही है। इस मुद्दे को लेकर अगले सप्ताह पटना में कुछ गैर भाजपा दलों की बैठक होने जा रही है। 2019 के लोक सभा चुनाव के बाद कांग्रेस किसी भी राज्य के विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए तरसती रही। उसे हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में सफलता मिली।

हिमाचल और कर्नाटक की जीत से कांग्रेस पार्टी में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है। नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ नेतृत्व में भी आत्मविश्वास पैदा हुआ है। भाजपा से असंतुष्ट विभिन्न सामाजिक समूहों में कांग्रेस पार्टी को लेकर एक नई उम्मीद पैदा हुई है और यह विमर्श जोर पकड़ रहा है कि ताकतवर दिखने वाली भाजपा को भी हराया जा सकता है। जाहिर है हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस की जीत से विपक्ष की राजनीति में एक सकारात्मक मोड़ आया है।

कांग्रेस (Congress) को छोड़कर विपक्ष की एकता की बात करने वाले राजनीतिक दलों के रुख में यह बदलाव दिखाई दे सकता है कि विपक्षी एकता की बात करने वालों के स्वर मंद पड़ने लगे हैं। यदि कांग्रेस इस रुख के साथ विपक्षी एकता के लिए आगे बढ़ती भी है तो यह गलत नहीं होगा, क्योंकि उसके समर्थक और कार्यकर्ता पूरे देश में हैं। लेकिन किसी एक राज्य में मिली जीत को पूरे देश का राजनीतिक ट्रेंड नहीं माना जा सकता है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि कांग्रेस के पुराने दिन वापस लौट आए हैं। लेकिन यह भी अवश्य है कि अगर कांग्रेस अनुशासनबद्ध होकर ‘कर्नाटक मॉडल’ को आगे बढ़ाए तो तेलंगाना सहित दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में अच्छा राजनीतिक प्रदर्शन कर सकती है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के विरुद्ध विपक्षी एकता की मुहिम में सक्रिय हैं।

ओडिशा (Odisa) से उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा है। वहां के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के नेता नवीन पटनायक ने किसी भी तीसरे मोच्रे की संभावना को खारिज करते हुए 2024 का चुनाव अकेले लड़ने का संकेत दिया है। इसलिए कांग्रेस यदि भाजपा के विरुद्ध गैर भाजपा दलों का कोई राष्ट्रीय गठबंधन बनाना चाहती है तो उसे क्षेत्रीय दलों के साथ कदम मिला कर चलना होगा। वास्तव में इस साल होने वाले राजस्थान, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन से विपक्षी एकता के द्वार खुलेंगे।



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