महंगाई में गिरावट
खाद्य, ईधन और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में कमी से थोक महंगाई दर घट गई (wholesale inflation decreased) है। थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 34 महीने के निचले स्तर शून्य से 0.92 फीसद नीचे आ गई।
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WPI आधारित मुद्रास्फीति में लगातार 11 माह से गिरावट जारी है। नकारात्मक डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति को तकनीकी रूप से अवस्फीति कहते हैं, जिसका अर्थ है कि कुल थोक कीमतें सालाना आधार पर घट गई हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि अप्रैल, 2023 में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट मुख्य रूप से बुनियादी धातुओं, खाद्य उत्पादों, खनिज तेल, कपड़ा, गैर-खाद्य वस्तुओं, रसायन और रासायनिक उत्पादों, रबर और प्लास्टिक उत्पादों व कागज और कागज उत्पादों की कीमतों में कमी के चलते हुई।
बहरहाल, थोक महंगाई दर का जुलाई, 2020 के बाद शून्य से नीचे आना आम लोगों के लिए दो वजहों से राहतकारी है। पहली तो यह कि अगले महीने आने वाले फुटकर महंगाई के आंकड़े निश्चित रूप से पिछले महीने की तुलना में कम होंगे। चूंकि खुदरा महंगाई रोजमर्रा के दामों से तय होती है, इसलिए उम्मीद है कि आने वाले महीने में खुदरा महंगाई 4 फीसद के आसपास रह सकती है। अप्रैल में यह आंकड़ा 5.66 फीसद था।
डब्ल्यूपीआई सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में गिरावट से दूसरी सबसे बड़ी राहत होगी कि ब्याज दरें बढ़ने की आशंका कम हो गई है। जैसी स्थिति है, उससे लग तो रहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) 6 से 8 जून तक होने वाली अपनी बैठक में ब्याज दरों में कटौती कर सकती है, बल्कि इन दरों में कटौती का दौर शुरू हो सकता है। इस काम में एमपीसी को खुदरा महंगाई के आंकड़ों के गिरते रुख से मदद मिलेगी। इस कारण से बैंकों से मिलने वाला कर्ज सस्ता होने के हालात बनेंगे।
अरसे से कर्ज की दरें मई, 2022 के बाद से 2.5 फीसद बढ़ चुकी हैं। बेशक, परिदृश्य सुखद दिख रहा है, लेकिन ध्यान रखना होगा कि डब्ल्यूपीआई सूचकांक आधारित महंगाई दर और खुदरा महंगाई दर 18 महीने में सबसे कम होने के बावजूद अप्रैल में कोर इंफ्लेशन 5.3 फीसद दर्ज की गई यानी अभी खाने-पीने की चीजों के दाम जरूर कम हुए हैं, लेकिन ईधन के दाम अभी भी स्थिर हैं। अलबत्ता, सप्लाई चेन सहज होने से ज्यादा परेशानकुन हालात नहीं होंगे। कह सकते हैं कि महंगाई के नरम पड़ते जाने का सिलसिला जारी रहना है।
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