भारत, ब्रिटेन एफटीएः पेटेंट नियमों में बदलाव न होने से जेनेरिक दवा क्षेत्र को राहत

Last Updated 28 Jul 2025 07:31:33 PM IST

भारत और ब्रिटेन के बीच पिछले सप्ताह हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में पेटेंट अवधि बढ़ाने या डेटा की विशिष्टता को अनिवार्य नहीं किया गया है। वाणिज्य मंत्रालय के एक दस्तावेज से यह जानकारी सामने आई है।


इस कदम से भारत के घरेलू जेनेरिक दवा उद्योग के हितों को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।

ब्रिटेन एफटीए में ‘डेटा की विशिष्टता’ का प्रावधान शामिल करने की लगातार मांग कर रहा था। लेकिन भारत ने इस मांग को मानने से इनकार कर दिया है।

मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि एफटीए में पेटेंट अवधि के विस्तार या डेटा की विशिष्टता को अनिवार्य नहीं किया गया है। छोटे-मोटे बदलावों के साथ उत्पाद का पेटेंट अपने पास रखने के लिए दवा कंपनियां ये दोनों तरीके अपनाती हैं।

भारत और ब्रिटेन के बीच 24 जुलाई को लंदन में मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। हालांकि, इस समझौते को लागू होने में एक साल का समय लग सकता है। 

मंत्रालय ने यह भी बताया कि भारतीय पेटेंट अधिनियम की धारा 3(डी) के तहत पेटेंट पात्रता मानकों पर भारत के पेटेंट कानून प्रावधान पूरी तरह से सुरक्षित हैं। यह धारा पहले से ज्ञात दवाओं के लिए पेटेंट को तब तक प्रतिबंधित करती है जब तक कि नए दावे प्रभावशीलता के मामले में बेहतर न हों।

औषधि विकास से संबंधित डेटा को विशिष्ट रूप से अपने पास ही रखने से कंपनियों का संबंधित तकनीकी डेटा सुरक्षित हो जाता है। इस तरह उनका कुछ समय के लिए अपने शोध डेटा पर विशेष अधिकार रहता है और वे प्रतिद्वंद्वियों को कम लागत वाले संस्करणों को बाजार में लाने से रोक देती हैं। 

भारत ने पहले भी चार देशों के समूह ईएफटीए के साथ इसी तरह की मांग को खारिज कर दिया था।

भारत का जेनेरिक दवा उद्योग लगभग 25 अरब डॉलर का है और देश अपने उत्पादन का 50 प्रतिशत निर्यात करता है। 

विशेषज्ञों का कहना है कि डेटा विशिष्टता का प्रावधान विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के 'बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं' (ट्रिप्स) समझौते के प्रावधानों से परे है।

वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि यह व्यापार समझौता भारत की ज्ञात पदार्थों के मामूली संशोधनों के लिए पेटेंट से इनकार करने की क्षमता को नहीं बदलता और न ही कमजोर करता है। 

इससे यह सुनिश्चित होगा कि जेनेरिक दवाएं बनाने वाली कंपनियां पेटेंट अवधि समाप्त होने पर अनावश्यक विलंब के बगैर बाजार में प्रवेश कर सकेंगी।

भाषा
नई दिल्ली


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