पाकिस्तान में सियासी संकट
पाकिस्तान राजनीतिक अस्थिरता की ओर बढ़ रहा है तथा प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी डांवाडोल है।
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विपक्ष ने इमरान सरकार के खिलाफ नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। सहयोगी दल मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान ने भी इमरान का साथ छोड़ दिया है। इस कारण सरकार अल्पमत में आ गई है। घटनाक्रम आश्चर्यजनक है क्योंकि इमरान खान ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिनके पीछे देश की सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई खड़ी है। स्वयं इमरान खान भी दावा करते हैं कि निर्वाचित सरकार सहित पूरा सत्ता प्रतिष्ठान एक साथ खड़ा है।
वास्तव में उनका दावा और जमीनी हकीकत उनकी मुसीबत का कारण बन गई। ऐसे समय में जब इमरान के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को कमजोर माना जा रहा था, देश में इमरान के विरु द्ध जन आंदोलन की शुरु आत हो गई। पाकिस्तान के लगभग सभी विपक्षी दल ‘पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट’ पीडीएम के परचम के नीचे एकत्र हो गए। सरकार के विरुद्ध सबसे बड़ा मुद्दा महंगाई है। विपक्ष का मानना है कि सरकार महंगाई के कारण गरीब और मध्यम वर्ग की हालत बहुत खराब है। रोजमर्रा से जुड़ी हर चीज की कीमत आसमान छू रही है।
पाकिस्तान के फेडरल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स के मुताबिक अक्टूबर, 2018 से अक्टूबर, 2022 तक बिजली की दरें 57 फीसद तक बढ़ी हैं। विदेश नीति के मोर्चे पर भी उनकी सरकार असफल रही है। इमरान ने पिछले दिनों यह स्वीकार करके सबको हैरत में डाल दिया था कि भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है। शायद उनका आशय रहा होगा कि पाकिस्तान की सेना का उन पर हमेशा दबाव रहता है, जिससे उनकी सरकार स्वतंत्र विदेश नीति का निर्माण नहीं कर पाई।
इमरान खान ने पिछले रविवार को अपनी सत्ता बचाने के लिए हर तरह का कार्ड खेला। यहां तक कहा कि मेरी सरकार को गिराने के लिए विदेशी शक्तियां साजिश रच रही हैं। इमरान खान नया पाकिस्तान बनाने का वादा करके 2018 में सत्ता में आए थे। लेकिन इस वादे को पूरा करने में पूरी तरह विफल रहे हैं, लिहाजा जनता उनकी सरकार से नाराज है। यह तथ्य है कि पाकिस्तान में वास्तविक लोकतंत्र नहीं है। देश की राजनीति में सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई का प्रभुत्व रहता है। सेना प्रतिष्ठान जिसे चाहेगा वह अगला प्रधानमंत्री बनेगा। यदि इमरान खान प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देते हैं।
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