अलोकप्रियता का युद्ध

Last Updated 28 Feb 2022 01:32:47 AM IST

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर जो युद्ध थोपा है उसका दूसरे देशों के अलावा उनके अपने ही देश में भारी विरोध हो रहा है।


अलोकप्रियता का युद्ध

युद्ध विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने पर रूस के 57 शहरों में  2000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है। बड़े प्रदशर्न राजधानी मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग में हुए हैं। रूस में सरकार विरोधी प्रदशर्नों के खिलाफ सख्त कानून हैं। मॉस्को में 900 और सेंटपीटर्सबर्ग में 700 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है।

युद्ध शुरू हुए चार दिन बीत चुके हैं। युद्ध से तबाह यूक्रेन के हालात जैसे-जैसे दुनिया के सामने उजागर हो रहे हैं और तबाही की तस्वीरें आ रही हैं, वहां हुई जान-माल की क्षति के बारे में पता चल रहा है, रूस के कई शहरों में हजारों लोग रोजाना प्रदर्शन विरोधी कानून का उल्लंघन करते हुए सड़क पर उतर रहे हैं। मॉस्को में ‘नो टू वॉर’ के नारे लगा रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि रूसी जनता हमले का समर्थन नहीं करती। पहले दरअसल यूक्रेन सोवियत संघ का ही हिस्सा था जिससे उनके बीच रोटी-बेटी के रिश्ते थे।

आज भी तमाम लोगों के रिश्तेदार और करीबी लोग यूक्रेन में रहते हैं। इससे आम रूसियों में बड़ी बेचैनी है। रूसी नागरिक महसूस कर रहे हैं जैसे प्रशासन बौखला गया है, और दुष्प्रचार के सहारे लोगों को मूर्ख बनाया जा रहा है। आक्रोश से भरे लोग पूछ रहे हैं, यह युद्ध क्यों लड़ा जा रहा है, और किससे लड़ा जा रहा है। यूक्रेन पर हमला ऐसे समय में किया गया  है, जब रूस में विपक्ष का बेरहमी से दमन किया गया है।

पुतिन के प्रमुख विरोधी नेता अलेक्सेई नवाल्नी पर नर्व गैस से जानलेवा हमले के बाद जर्मनी से लाकर रूस की जेल में बंद कर दिया गया है। उन्होंने जेल से ही दिए एक इंटरव्यू में यूक्रेन युद्ध का विरोध करते हुए कहा है कि यह देश में मौजूद दिक्कतों से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश है। कुछ राष्ट्रवादी लोगों और सेना को को छोड़ दें तो पुतिन अपनी महत्त्वाकांक्षा की लड़ाई लड़ते दिखाई दे रहे हैं।

युद्ध पर रूस 15 अरब डॉलर प्रति दिन की भारी भरकम रकम खर्च कर रहा है, और लड़ाई लंबी खिंचती जा रही है, लेकिन रूसी नागरिकों के एक बड़े वर्ग में उनकी नीतियों का विरोध पुतिन के लिए खतरे की घंटी माना जा सकता है। यदि यूक्रेन ने जल्द हथियार नहीं डाले तो यह मनमानी जंग पुतिन के लिए भारी भी पड़ सकती है। अकेले पड़ गए यूक्रेन से पुतिन जीत तो जाएंगे लेकिन जीत के बावजूद युद्ध पुतिन को अलोकप्रिय ही बनाएगा।



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