मोटापा विरोधी नीति
मोटापा वर्तमान में आम जन की सबसे बड़ी समस्या है। यह तमाम बीमारियों की जड़ है जिनमें मधुमेह, थायराइड, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग इत्यादि प्रमुख हैं।
![]() मोटापा विरोधी नीति |
देखा जाए तो मोटापा सारे ही रोगों का मूल है और आज चिंता का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है। यह देखकर केंद्र सरकार भी चिंतित हो उठी है। नीति आयोग ने लोगों को मोटापे से छुटकारा दिलाने के लिए चीनी, नमक और वसा की अधिकता वाले खाद्य उत्पादों पर कर बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। इसके खिलाफ फ्रंट-ऑफ-द-पैक लेबलिंग जैसे कदम उठाने के प्रस्ताव पर भी विचार किया जा रहा है। ऐसी लेबलिंग से उपभोक्ताओं को अधिक चीनी, नमक और वसा वाले उत्पादों को पहचानने में मदद मिलेगी।
नीति आयोग के शोध संस्थान की वाषिर्क रिपोर्ट के अनुसार देश की आबादी के बीच मोटापे की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए इस तरह के कदम उठाने पर विचार चल रहा है। देश में बच्चों, किशोरों और महिलाओं में अधिक वजन और मोटापे की समस्या लगातार बढ रही है। नीति आयोग आर्थिक विकास संस्थान (आईईजी) और भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठन (पीएचएफआई) के सहयोग से इस दिशा में काम कर रहा है। इसके जरिये उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर किए जाने वाले उपायों की पहचान कर रहा है।
इन उपायों के तहत फ्रंट-ऑफ-पैक लेबलिंग, एचएफएसएस (चीनी, नमक और वसा की अधिक मात्रा वाले उत्पाद) उत्पादों के विपणन और विज्ञापन को हतोत्साहित करने तथा अधिक चीनी, वसा और नमक वाले उत्पादों पर कर बढ़ाना शामिल है। गैर-ब्रांडेड नमकीन, भुजिया, वेजिटेबल्स चिप्स और स्नैक्स पर पांच प्रतिशत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगता है जबकि ब्रांडेड और पैकेटबंद उत्पादों के लिए जीएसटी दर 12 प्रतिशत है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सव्रे 2019-20 के अनुसार देश में मोटापे से ग्रस्त महिलाओं की संख्या 24 प्रतिशत तक पहंच गई है, जो 2015-16 में 20.6 प्रतिशत थी। जबकि पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा 18.4 प्रतिशत से बढ़कर 22.9 प्रतिशत हो गया है। यह अच्छा है कि सरकार इस दिशा में देर से ही सही सक्रिय तो हुई है। अधिक नमक, चीनी और वसा वाले खाद्य उत्पाद सिर्फ मोटापा ही नहीं बढ़ाते, यह अनेक रोगों से भी आबादी को ग्रसित करते हैं जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर भी भारी बोझ पड़ता है।
Tweet![]() |