सुरक्षित निकालने की चुनौती

Last Updated 01 Mar 2022 12:17:32 AM IST

यूक्रेन में युद्ध की विभीषिका के बीच भारतीय छात्रों को सुरक्षित वापस लाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल स्वागतयोग्य कदम है।


सुरक्षित निकालने की चुनौती

प्रधानमंत्री ने कहा भी कि भारतीय छात्रों की सुरक्षा और उन्हें निकालना शीर्ष प्राथमिकता है। यही वजह है कि भारत सभी पक्षों के संपर्क में है। दिनोंदिन यूक्रेन के हालात खराब हो रहे हैं, इस नाते सरकार हर स्तर पर गंभीरता बरत रही है और विमानों की खेप लगातार यूक्रेन के पड़ोसी देशों के चक्कर लगा रहे हैं और अब तक 2000 से ज्यादा छात्र स्वदेश लौट चुके हैं। भारतीय छात्रों की बर्बरता-पिटाई करने और दवा न देने-को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अपने चार मंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोसी देश भेजने का निर्णय लिया है। मंत्रियों के वहां जाने से छात्रों की स्वदेश वापसी की प्रक्रिया तेज होगी। साथ ही वहां फंसे छात्रों और भारत में उनकी चिंता में बेहाल उनके परिजनों को भी राहत मिलेगी। युद्ध शुरू होने के बाद से ही यह आशंका जताई जाने लगी थी कि वहां मेडिकल की पढ़ाई करने गए छात्र कैसे भारत आएंगे?

सरकार को भी शुरुआत में इस बात का भान नहीं हो सका था कि एकाएक माहौल बेहद तनावपूर्ण और जटिल हो जाएगा। खासकर संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव में भारत का वोटिंग से अनुपस्थित रहने के फैसले का असर वहां से छात्रों की वापसी पर भी पड़ा है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी को उच्चस्तरीय बैठक करनी पड़ी और तमाम पहलुओं पर नये सिरे से विचार करना पड़ा। इस बात में कोई शक नहीं कि भारत को लेकर रूस और यूक्रेन में माहौल सकारात्मक रहा है।

हालांकि कहीं-कहीं छात्रों के साथ मारपीट और हिंसक कार्रवाई से एकबारगी यह लगने लगा था कि कहीं कुछ अनहोनी न हो जाए? वहीं मीडिया में यह खबर भी सुर्खियां बनीं कि फोन करने के बावजूद भारतीय दूतावास न तो फोन पर बात कर रहे हैं और न सांत्वना-सहयोग का भरोसा दिला रहे हैं। ज्ञातव्य है कि यूक्रेन में करीब 18000 भारतीय छात्र पढ़ाई करते हैं। इतनी बड़ी संख्या में युद्धरत इलाकों से हरेक छात्र की सकुशल वापसी वाकई चुनौतीपूर्ण है।

हां, मीडिया की भूमिका की भी वापस आए छात्र सराहना कर रहे हैं। बच्चों की सुरक्षित वापसी के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ को चुपचाप अंजाम देना आसान नहीं था। खैर, अभी तो हजारों छात्रों की वापसी होनी है। सरकार का पूरा जोर बच्चों की सुरक्षित पर है। इसलिए वापसी के लिए रेलमार्ग का विकल्प भी मौजूद है। सो, अब यह उम्मीद बंधी है कि यूक्रेन में मौजूद सभी छात्रों को सुरक्षित उनकी मातृभूमि लाया जाएगा।



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