एयर इंडिया को झटका
तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोआन से नजदीकी विमानन क्षेत्र के दिग्गज इल्कर आयसी को भारी पड़ गई।
![]() एयर इंडिया को झटका |
उन्हें टाटा समूह के हाथों अधिग्रहीत भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन एयर इंडिया का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बनने का प्रस्ताव दिया गया था जिसे उन्हें एदरेआन के भारत विरोधी रुख के कारण ठुकराना पड़ा। इस खबर से विमानन उद्योग में हलचल मच गई है। टाटा संस ने 14 फरवरी को ‘तुर्की एयरलाइंस’ के पूर्व प्रमुख इल्कर आयसी को अपनी विमानन कंपनी एयर इंडिया का नया सीईओ एवं प्रबंध निदेशक नियुक्त करने की घोषणा की थी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की आर्थिक शाखा ‘स्वदेशी जागरण मंच’ (एसजेएम) ने उनके नाम पर कड़ा एतराज जताया था। मंच का कहना था कि सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एयर इंडिया को तुर्की के नागरिक इल्कर आयसी को मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक नियुक्त करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। सरकार इस मुद्दे के प्रति पहले से ही संवेदनशील रही है इसलिए उसने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया। एसजेएम को आयसी के तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोआन से करीबी के कारण ऐतराज था। आयसी 1994 में तब रेचप तैयप एर्दोआन के सलाहकार थे जब वह इस्तांबुल के मेयर होते थे। आयसी टर्किश एयरलाइंस के सीईओ भी रह चुके हैं।
टाटा समूह ने पिछले महीने ही एयर इंडिया का नियंत्रण अपने हाथ में लिया है। पिछले साल अक्टूबर में टाटा ने एयर इंडिया को खरीदने के लिए बोली लगाई थी और 1.80 खरब रुपये घाटे में चल रही भारत की इस सबसे बड़ी एयरलाइंस को खरीद लिया था। सुरक्षा एजेंसियों ने भी आयसी के एदरेआन से संबंधों पर आगाह किया था। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन कट्टरपंथी नेता हैं।
2020 में उन्होंने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर आपत्ति जताई थी। भारत ने इस बयान पर राजनयिक आपत्ति दर्ज कराई थी। सवाल उठता है कि क्या निजीकरण के बाद भी किसी कंपनी के फैसलों में इस तरह दखल दी जा सकती है। एदरेआन से आयसी के कथित संबंधों की पहले ठोक बजाकर पड़ताल की जानी चाहिए थी। आयसी विमानन उद्योग में बड़ा नाम हैं। उम्मीद थी कि एयर इंडिया को नये युग में ले जाते।
Tweet![]() |