रूस की हताशा
पश्चिमी देशों द्वारा वैश्विक बैंकिंग प्रणाली स्विप्ट (सोसाइटी फॉर र्वल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन) से रूस के बैंकों को बाहर करने के उपरांत सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रूसी मुद्रा रूबल लगभग 30 फीसद तक टूट गई।
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ट्रेडिंग के दौरान एक डॉलर का मूल्य 119.50 रूबल तक पहुंच गया। अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से रूस की अर्थव्यवस्था के लिए स्थितियां बेहद ही चुनौतीपूर्ण हो गई हैं। रूस के प्रमुख बैंकों का अंतरराष्ट्रीय कारोबार ठप हो गया है। पश्चिमी देशों में उनका कामकाज खासकर गूगल पे और एपल पर उनके जरिए भुगतान रोका जा रहा है।
प्रतिबंधों से अपनी मुद्रा और अर्थव्यवस्था को बचाए रखने के लिए रूस हर संभव प्रयास कर रहा है। सेंट्रल बैंक ऑफ द रशियन फेडरेशन (बैंक ऑफ रशिया) ने सोमवार को ब्याज दरों को दुगुना करने के साथ ही कुछ अन्य उपाय भी किए हैं। नीतिगत ब्याज दर 9.5 फीसद से बढ़ाकर 20 फीसद कर दी है। यह पिछले 100 साल की सबसे ऊंची दर है। उसे उम्मीद है कि नीतिगत दरों में वृद्धि करने से न केवल रूबल का अवमूल्यन रुकेगा, बल्कि महंगाई से भी राहत मिलेगी।
साथ ही, उसने जिन कंपनियों के पास विदेशी मुद्रा है, उन्हें इसके 80 फीसद हिस्से को बेचने का आदेश दिया है। जिन रूसी दलालों के पास विदेशी प्रतिभूतियां हैं, इन्हें बेचने पर रोक भी लगा दी है। इससे पहले रूस ने ऐलान किया था कि आर्थिक स्थिरता लिए 28 फरवरी से घरेलू बाजार में सोना खरीदना फिर से शुरू करेगा। रूसी बैंकों के ग्राहकों को ताकीद की गई है कि वे अपने बैंक कार्ड का इस्तेमाल रूस के बाहर नहीं करें। प्रतिबंधों से रूस के सेंट्रल बैंक के लगभग 63,000 करोड़ रुपये के विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार फ्रीज हो जाएंगे। रूस के बैंकों में कैश खत्म होने के कगार पर है।
एटीएम के बाहर लंबी-लंबी कतार लग गई हैं। अंदेशा है कि रूस में महंगाई तेजी से बढ़ सकती है। एशियाई मार्केट विश्लेषक जैफरी हॉले के मुताबिक, रूस की बैंकिंग व्यवस्था और वैश्विक कारोबार तहस-नहस हो सकता है। बहरहाल, प्रतिबंधों से रूसी अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक असर होगा। उसे अर्थव्यवस्था की चरमरा चुकी स्थिति से उबरने में लंबे समय तक जद्दोजहद करनी पड़ सकती है। बहरहाल, रूस जो भी प्रयास कर रहा है, उनसे उसकी हताशा ही परिलक्षित हो रही है।
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