जुड़ेंगी नदियां, बढ़ेगा देश
बाढ़ और सूखे से बेहाल हमारे देश को बड़ी राहत मिलने का रास्ता खुल गया है।
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देश की पहली महत्वाकांक्षी नदी-जोड़ो परियोजना लंबे इंतजार और उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 16 साल चले जल बंटवारे के विवाद के सुलझने के बाद अस्तित्व में आने जा रही है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केन और बेतवा नदी को आपस में जोड़ने संबंधी परियोजना को बुधवार को मंजूरी दे दी है।
दोनों राज्यों में बुंदेलखंड इलाकों की जनता को पेयजल, कृषि कायरे के लिए सिंचाई का जल एवं अन्य लाभ मिलेंगे। पनबिजली 103 मेगावाट और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी सृजित होगी। परियोजना को पूरा करने के लिए विशेष उद्देश्यीय कंपनी का गठन किया जाएगा, जिसे केन बेतवा नदी जोड़ो परियोजना प्राधिकार कहा जाएगा। इस परियोजना की अनुमानित लागत 44,605 करोड़ रुपये होगी। इस परियोजना के तहत मप्र में 8.11 लाख हेक्टेयर और उप्र में 2.11 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी।
परियोजना से मध्य प्रदेश में छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी जिलों को पानी मिलेगा, वहीं उप्र के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिलों को राहत मिलेगी। यानी 62 लाख लोगों को पीने का साफ पानी मिलेगा। क्षेत्र में भूजल का रिचार्ज होगा सो अलग।
परियोजना के तहत केन नदी से बेतवा नदी में पानी भेजा जाएगा। यह परियोजना नदियों को आपस में जोड़ने की अन्य परियोजनाओं का भी मार्ग प्रशस्त करेगी। इससे पर्यावरण प्रबंधन भी बेहतर होगा। मार्च, 2021में देश में नदियों को आपस में जोड़ने की पहली प्रमुख केंद्रीय परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री तथा मप्र और उप्र के मुख्यमंत्रियों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे।
नदियों को आपस में जोड़ने के विचार की अवधारणा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की थी। इससे बाढ़ और सूखे की समस्या झेल रहे देश को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। साथ ही कृषि उपज बढ़ने से किसान खुशहाल होंगे और क्षेत्र में विकास की नई लहर चलेगी। भारत दुनिया को प्रगति का नया मंत्र भी दे सकेगा, लेकिन इस विचार की राह में अड़चनें भी हैं। महाराष्ट्र के गुजरात के साथ पार-तापी-नर्मदा और दमनगंगा-पिंजाल नदी जोड़ो परियोजना से अलग होने की घोषणा इसका उदाहरण है।
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