कश्मीर में हिंसा
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। हफ्ते भर के अंदर आतंकवादी हमले की तीन वारदात से यह अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है कि वहां किस तरह की दुारियां दरपेश हैं।
कश्मीर में हिंसा |
खासकर पोस्टपेड सुविधा पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद से आतंकवादी घटनाओं में तेजी चिंता का सबब है। आतंकवादियों के निशाने पर गैर कश्मीरी ही रहे हैं। पहले शोपियां में एक गैर कश्मीरी सेब कारोबारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
उससे पहल शोपियां में ही राजस्थान के ट्रक ड्राइवर को मौत के घाट उतार दिया गया। फिर पुलवामा में छत्तीसगढ़ के एक मजदूर की हत्या कर दी गई। यानी दक्षिण कश्मीर में आतंकवादी न केवल सक्रिय हैं बल्कि वहां उनके रहनुमा भी मौजूद हैं जो उनके बचाव के लिए हरसंभव उपायों से लैस हैं। पहले भी घाटी का यह दक्षिणी भाग आतंकवादी हिंसा के मामले में सबसे आगे था।
एक तरफ सरकार राज्य के लोगों की सुविधा के वास्ते वो सभी जतन कर रही है, जिससे वहां अमन की बयार बहे साथ ही जनजीवन पटरी पर भी लौटे। मगर हाल की कुछ घटनाओं को देखते हुए लगता है, वहां शांति की गुंजाइश में थोड़ा विलंब है। वैसे सरकार की कोशिश यही है कि वहां जल्द-से-जल्द उन बंदिशों पर से रोक हटा ली जाए, जिससे सूबा विकास की पटरी पर सरपट दौड़ सके। पिछले 72 दिनों से जब से कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किया गया है पाकिस्तान इसी साजिश में लगा है कि कश्मीर के बहाने भारत में अशांति फैलाई जाए।
हालांकि यहां आतंक फैलाने का काम वह काफी अरसे से कर रहा है मगर इस वक्त उसकी बौखलाहट और सनक चरम पर है। पहले सीमा पार से बमबाजी फिर पंजाब में ड्रोन की मदद से हथियारों और नशीले पदाथरे की खेप पहुंचाने से पाकिस्तान की करतूतों का पता चलता है। वह हर हाल में इस प्रयास में है कि कश्मीर में केंद्र सरकार की सकारात्मक पहल परवान नहीं चढ़े। यही वजह है कि वह कभी चीन तो कभी संयुक्त राष्ट्र तो कभी तुर्की का दरवाजा खटखटाने पहुंच जाता है। हालांकि हर जगह उसे मुंह की खानी पड़ी है।
कश्मीर प्रशासन और केंद्र सरकार की वहां की जनता को दी जाने वाली ढील पाकिस्तान को नागवार गुजर रही है। सरकार के लिए यह परीक्षा का समय है। उम्मीद की जानी चाहिए कि कश्मीर में बहुत जल्द हिंसा का दौर खत्म होगा और शांति बहाल होगी।
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