ठंड, रिवाज के चलते अदालतों में टोपी को आधिकारिक पोशाक का हिस्सा बनाने की याचिका पर सुनवाई

Last Updated 23 Aug 2025 09:03:08 AM IST

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को अदालत में वकीलों के आधिकारिक ‘ड्रेस कोड’ में टोपी को शामिल करने संबंधी एक याचिका पर सुनवाई की। अधिवक्ता विनोद नौटियाल ने यह जनहित याचिका दायर की है।


उत्तराखंड उच्च न्यायालय

अपनी याचिका में नौटियाल ने 2001 की एक घटना का संदर्भ दिया जब किसी मामले में वरिष्ठ मंत्री नारायण रामदास को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश होना था और द्वार पर मौजूद पुलिस ने उनसे अपनी सफेद गांधी टोपी उतारने को कहा क्योंकि अदालत कक्ष में बिना टोपी के प्रवेश किया जाता है।

उन्होंने कहा कि इसे लेकर उस समय विवाद भी हुआ था।

याचिका में यह भी कहा गया है किसी को टोपी उतारने के लिए मजबूर करना उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

नौटियाल ने अदालत कक्ष के अंदर काली या किसी भी रंग की टोपी पहनने की अनुमति मांगी है और ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ को अपने नियमों में संशोधन कर टोपी को अधिवक्ताओं की आधिकारिक पोशाक का हिस्सा बनाए जाने के निर्देश देने का अनुरोध किया है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में, विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में, बहुत अधिक ठंड पड़ती है और शोक या उत्सव के अवसर पर विशेष टोपी पहनने का रिवाज भी है।

नौटियाल ने यह भी कहा कि सिख समुदाय के सदस्यों को अदालत में पगड़ी पहनने की अनुमति है।

भाषा
नैनीताल


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