Karnataka Election: शिरहट्टी सीट से जो जीता सरकार उसी पार्टी की बनी

Last Updated 22 Apr 2023 11:24:24 AM IST

कर्नाटक (Karnataka) में होने वाले चुनाव की एक विशेष खास बात है जिसे सुनकर आप सकते में आ जाएंगे। कारण, उसका यह है कि मध्य कर्नाटक में गडग एक जिला है जिसका एक विधानसभा क्षेत्र शिरहट्टी (Shirahatti) है। यहां की विशेषता यह रही है कि जिस किसी पार्टी ने शिरहट्टी विधानसभा (Shirhatti Assembly) का चुनाव जीता, उसी की पार्टी ने राज्य में सरकार बनायी।


Karnataka Election: शिरहट्टी सीट से जो जीता सरकार उसी पार्टी की बनी

बता दें कर्नाटक में 224 विधानसभा क्षेत्र हैं।  राज्य के पिछले 12 विधानसभा चुनावों के नतीजों का यही रिकार्ड रहा है। हालांकि, आजादी के बाद अब तक हुए कुल 14 चुनावों में से दो ही मौके ऐसे आए जब शिरहट्टी में जीत किसी एक दल के उम्मीदवार की हुई और सरकार किसी दूसरे दल की बनी। यह दोनों चुनाव उस दौर में हुए जब कर्नाटक, मैसूर राज्य कहलाता था। साल 1973 में पुन: नामकरण करके इसका नाम कर्नाटक कर दिया गया था।
राज्य में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में ज्यादातर लोगों की नजरें भी शिरहट्टी विधानसभा सीट पर टिकी हुई है।

यहां के रोचक मुकाबले में अबकी बार मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (BJP) के चंद्रु लमानी (K Chandru Lamani), कांग्रेस (Congress) की सुजाता निंगप्पा डोड्डामणनि (Sujata Ningappa Doddacnani) और जनता दल (Janta Dal) (Secular) के हनुमंथप्पा नायक (Hanumanthappa Nayak) के बीच है। BJP ने पिछले विधानसभा चुनाव में यहां से जीत दर्ज करने वाले रमप्पा लमानी (Ramappa Lamani) का टिकट काटकर एक सरकारी चिकित्सक चंद्रू लमानी (Chandru Lamani) को टिकट दिया है।

ज्ञात हो कि सन् 1957 में कर्नाटक के पहले विधानसभा चुनाव में शिरहट्टी से कांग्रेस को विजय हासिल हुई थी और राज्य में सरकार भी कांग्रेस की बनी थी। वर्ष 1962 और 1967 के विधानसभा चुनावों में यहां से स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की लेकिन सरकार कांग्रेस की ही बनी।

लेकिन उसके बाद से अब तक हुए राज्य विधानसभा के चुनावों में हर बार शिरहट्टी सीट से जीत दर्ज करने वाली पार्टी की राज्य में सरकार बनती आई है।

बता दें कि शिरहट्टी से सन् 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के रामप्पा लमानी (Ramappa Lamani) ने कांग्रेस के कैंडिडेट डीआर शिडलिगप्पा (DR Shidligappa) को 29,993 वोटों से हराया था। फिर तो BJP ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी BJP ने अपनी सरकार बनाई और राज्य की कमान बीएस येदियुरप्पा (BS Yedurappa) को सौंप दी। लेकिन 8 सीटें कम होने की वजह से सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई और उन्हें इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा।

इसके बाद जनता दल (सेक्युलर) ने कांग्रेस की मदद से जनता दल (सेक्युलर) के एच डी कुमारस्वामी (HD Kumarswami) राज्य के मुख्यमंत्री बने।

लेकिन में कांग्रेस पार्टी में आपसी फूट के चलते पार्टी के कुछ विधायकों के पाला बदलने के कारण 14 महीने के भीतर ही कुमारस्वामी की सरकार भी धड़ा से गिर गई। राज्य में राजनीतिक उथलपुथल कई दिनों तक चलती रही। लम्बे चले राजनीतिक घटनाक्रमे के बाद येदियुरप्पा चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने।

ज्ञात हो, कि 2013 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Election) में कांग्रेस के उम्मीदवार ने शिरहट्टी (Shirahatti) से जीत दर्ज की और राज्य में सिद्धरमैया (Siddaramaiya) के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। इसी प्रकार 2008 में भाजपा और 2004 में कांग्रेस के नेतृत्व में सरकारें बनीं तो शिरहट्टी में भी सत्ताधारी दलों के विधायकों को सफलता मिली।

राज्य में वर्ष 1972 से लेकर 1999 तक हुए चुनावों में भी यही स्थिति बनी रही। शिरहट्टी से जीत दर्ज करने वाली पार्टी ही राज्य में सरकार बनाती रही।

साल 1999 में शिरहट्टी से कांग्रेस ने चुनाव में जीत हासिल की तो कांग्रेस के नेता एस एम कृष्णा (SM Krishna) राज्य के मुख्यमंत्री बने। और आपको यह भी बता दें कि इसके पहले, 1994 के चुनाव में जनता दल के एच डी देवेगौड़ा (HD Devegauda) मुख्यमंत्री बने तो उनकी पार्टी के ही उम्मीदवार जी एम महंतशेट्टार (GM Mahantshettar) ने यहां से विजयी हुए।
जनता पार्टी ने 1985 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार ने यहां से जीत दर्ज की तो राज्य में सरकार भी जनता पार्टी की ही बनी। रामकृष्ण हेगड़े (Ramkrishna Hegade) इस सरकार के मुखिया बने।
इसी तरह से कांग्रेस ने एक बार फिर सन् 1989 में के शंकर गौड़ा पाटिल (K Shankar Gauda Patil) ने यहां से चुनाव जीता और राज्य में फिर कांग्रेस की सरकार बनी।

शिरहट्टी में जब निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीता तो क्या हुआ

1983 के विधानसभा चुनाव में पहली बार शिरहट्टी सीट से कांग्रेस के तत्कालीन विधायक यू जी फकीरप्पा (UG Fakirappa) को टिकट नहीं मिला तो वे बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव में उतर गए और वे चुनाव जीत भी गये। फिर आया राज्य में सरकार बनाने का मामला तो राज्य में सबसे बड़ी जनता पार्टी को समर्थन देकर राज्य में त्रिशंकु सरकार बनी। उस समय कांग्रेस को 82 सीटों पर तो जनता पार्टी को 95 सीटों पर जीत मिली थी। फकीरप्पा ने जनता पार्टी का समर्थन कर दिया। सरकार भी जनता पार्टी की बनी और पहली बार हेगड़े राज्य के मुख्यमंत्री बने।

कर्नाटक में कुछ और ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां से जीत दर्ज करने वाली पार्टी ने राज्य की सत्ता पर राज किया। इनमें कोप्पल जिले की येलबुर्गा, विजयनगर जिले की हरपनहल्ली, चिक्कमगलुरु जिले का तारिकेरे और दावणगेरे जिले की दावणगेरे विधानसभा सीट शामिल हैं।

कर्नाटक में  1999 से लेकर अब तक हुए सभी चुनावों में इन सीटों पर जिस किसी भी दल के उम्मीदवार जीते सत्ता उसी दल के हाथों में रही।

सुरेन्द्र देशवाल
नई दिल्ली


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