अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं को हटाने पर केंद्र व दिल्ली सरकार से जवाब मांगा
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने सार्वजनिक स्थानों से अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं को हटाने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर सोमवार को केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा।
![]() दिल्ली हाईकोर्ट |
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी की पीठ ने पांच व्यक्तियों की याचिका पर दोनों सरकारों के साथ-साथ दिल्ली पुलिस, पीडब्ल्यूडी और एमसीडी को नोटिस जारी किया और अधिकारियों को अपना जवाब देने के लिए मामले की सुनवाई सितंबर महीने के लिए स्थगित कर दी।
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि छद्म धर्म के नाम पर अवैध और अनिधकृत रूप से अधिक से अधिक भूमि पर कब्जा करने के इरादे से ऐसी अवैध गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। इससे देश की अखंडता और राष्ट्रीय हित खतरे में पड़ रहा है।
उन्होंने कोर्ट से सार्वजनिक स्थानों, मागरे या राजमार्गों पर बनाए गए धार्मिंक संरचनाओं को तोड़ने या हटाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की है।
साथ ही अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की है कि सार्वजनिक भूमि पर किसी भी धार्मिंक या किसी भी प्रकार की मस्जिद, मजार, कब्र या अन्य धार्मिंक निर्माण का निर्माण न होने दिया जाए।याचिका में कहा गया है कि स्थिति इतनी चिंताजनक है कि ऐसी गतिविधियां सांप्रदायिक वैमनस्य को जन्म दे सकती हैं और जनता के साथ-साथ कानून व्यवस्था को भी प्रभावित कर रही है।
अधिकारी अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों और कर्तव्यों को निभाने में लापरवाही कर रहे हैं। इसके पीछे राजनीतिक लाभ है। दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दे को ‘‘धार्मिक समिति’’ द्वारा संभाला जाता है। उन्होंने कहा कि समिति भूमि स्वामित्व एजेंसी के साथ-साथ सार्वजनिक भूमि पर धार्मिक संरचनाओं की मौजूदगी से निपटती है और सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता अपनी शिकायतों के साथ समिति से संपर्क कर सकते हैं।
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