कन्हैया कुमार सहित 10 के खिलाफ सुनवाई 19 को
देशद्रोह के तहत जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित 10 लोगों के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर सुनवाई 19 जनवरी तक टल गई है।
कन्हैया कुमार (file photo) |
पटियाला हाउस कोर्ट के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सेरावत के अवकाश पर रहने के कारण मंगलवार को सुनवाई नहीं हुई। उनकी अदालत ने सुनवाई 19 जनवरी तक के लिये स्थगित कर दी। आरोप पत्र में शामिल सभी लोगों पर आरोप है कि उन्होंने संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु के फांसी की बरसी पर विश्वविद्यालय में 9 फरवरी, 2016 को एक कार्यक्रम आयोजित कर देश के खिलाफ नारे लगाए थे।
दिल्ली पुलिस ने आरोप पत्र में मुख्य आरोपी कन्हैया कुमार के अलावा पूर्व छात्र उमर खालिद व अनिर्बान भट्टाचार्य को बनाया है। तीनों इस मामले में गिरफ्तार किए गए थे। इसके अलावा कश्मीरी छात्र आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईया रसूल, बशीर भट व बशरत को भी मुख्य आरोपी बनाया गया है। पुलिस ने आरोप पत्र के कॉलम 12 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के नेता डी. राजा की बेटी अपराजिता, जेएनयूएसयू छात्र संघ की तत्कालीन उपाध्यक्ष शहला राशिद, राम नागा, आशुतोष कुमार के अलावा बनोज्योत्सना लाहिरी सहित 36 अन्य लोगों के नाम दिए हैं। इन लोगों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले थे।
आरोप पत्र भारतीय दंड संहित (आईपीसी) की धारा 124ए (राजद्रोह), 323 (किसी को चोट पहुंचाने), 465 (जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को वास्तविक दस्तावेज के तौर पर इस्तेमाल करने), 143 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र समूह का सदस्य होने), 149 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र समूह का सदस्य होने), 147 (दंगा फैलाने) और 120बी (आपराधिक षड्यंत्र रचने) के तहत दाखिल किया गया है।
पुलिस द्वारा 1200 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया है और उसमें साक्ष्य के तौर पर सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल फोन के फुटेज और अन्य दस्तावेज बतौचर प्रमाण दिए गए हैं। पुलिस ने आरोप पत्र में कहा है कि कन्हैया कुमार ने भीड़ को भारत विरोधी नारे लगाने के लिए उकसाया था। पुलिस ने भाजपा सांसद महेश गिरी व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की शिकायत पर वसंत कुंज (उत्तर) पुलिस थाने में 11 फरवरी, 2016 को अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। प्राथमिकी में पहले आईपीसी की धारा 124ए तथा 120बी लगाई गई थी। एबीवीपी ने पुलिस को सौंपी गई शिकायत में कहा था कि आयोजन राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए किया जाना है। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने आयोजन की अनुमति रद्द कर दी थी। इसके बावजूद यह आयोजन किया गया था।
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