आखिर घोड़े कैसे पहुंचे राजपथ
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को आप सरकार से पूछा कि जब घोड़े घातक ग्लैंडर्स बीमारी से पीड़ित पाए गए हैं तो ऐसे में घोड़ों को, यहां तक कि राष्ट्रपति के काफिले में शामिल घोड़ों को भी गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने की अनुमति क्यों दी गई?
आखिर घोड़े कैसे पहुंचे राजपथ (file photo) |
अदालत ने दिल्ली सरकार से यह भी पूछा कि उसने नॉर्थ इंडिया डर्बी रेस को अनुमति कैसे दे दी जो 27 फरवरी को दिल्ली गोल्फ कोर्स में होने वाली है.
उच्च न्यायालय ने ये सवाल तब पूछे जब उसे सूचित किया गया कि राष्ट्रीय राजधानी में अब तक 46 घोडे ग्लैंडर्स पीड़ित पाए जा चुके हैं और यह संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है.
दिल्ली सरकार की 15 जनवरी की अधिसूचना के मुताबिक घातक संवमण को रोकने की कोशिश के तहत राष्ट्रीय राजधानी तक और राष्ट्रीय राजधानी से होने वाली किसी अ गतिविधि को तीन महीने तक अनुमति नहीं दी जाएगी.
मामला तब उच्च न्यायालय पहुंचा जब दो घोड़ों के मालिक ने इससे संपर्क कर कहा कि उसके घोड़ों को 27 फरवरी को दिल्ली गोल्फ कोर्स में होने वाली डर्बी घुडदौड़ में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई क्योंकि इन्हें मुंबई से लाया जाएगा.
न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने दिल्ली सरकार से सवाल किया कि इसने आयोजन को कैसे मंजूरी दी जहां बड़ी संख्या में दर्शक होंगे और जानवरों के अतिरिक्त मनुष्यों में भी संक्रमण फैल सकता है.
दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थाई अधिवक्ता नौशाद अहमद खान ने कहा कि अधिसूचना जनहित में जारी की गई थी और अब तक संक्रमण के 46 मामले सामने आए हैं.
गणतंत्र दिवस पर कार्यक्रम में घोड़ों के शामिल होने को मंजूरी दी गई क्योंकि यह एक ‘असाधारण स्थिति’ थी और घोड़े सशस्त्र बलों के थे. अदालत मामले पर अब मंगलवार को सुनवाई करेगी.
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