हेल्थ मामले में यूपी-बिहार फिसड्डी, दिल्ली नंबर 3 पर

Last Updated 10 Feb 2018 03:10:56 AM IST

केरल, तमिलनाडु और पंजाब स्वास्थ्य की नजर से अव्वल पाये गये हैं जबकि उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान फिसड्डी हैं. उप्र का नंबर सबसे आखिरी है.




हेल्थ मामले में यूपी-बिहार फिसड्डी, दिल्ली नंबर 3 पर

देश की राजधानी दिल्ली तीसरे स्थान पर है.
नीति आयोग ने वि बैंक और स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर स्वास्थ्य सूचकांक तैयार किया है जिसे आज जारी किया गया. सूचकांक में बड़े राज्यों में 76.55 अंक के साथ केरल पहले और 33.69 अंक के साथ उत्तर प्रदेश अंतिम स्थान पर है. दिल्ली 50.00 अंक के साथ तीसरे स्थान पर रहा. छोटे राज्यों में मिजोरम 73.70 अंक के साथ पहले और नगालैंड 37.38 अंक के साथ आखिरी स्थान पर तथा केंद्रशासित प्रदेशों में 65.79 अंक के साथ लक्षद्वीप शीर्ष पर और दादर एवं नागर हवेली 34.64 अंक के साथ सबसे नीचे है.
सूचकांक तय करने के लिए राज्यों का आकलन बाल मृत्यु दर, पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर, टीकाकरण की व्यापकता, घर की बजाय अस्पतालों में बच्चों का जन्म तथा एचआईवी के रोगियों की संख्या आदि को आधार बनाया गया है. सालाना वृद्धिकारी निष्पादन के लिहाज से झारखंड, जम्मू- कश्मीर व उत्तर प्रदेश शीर्ष के तीन राज्यों में से हैं. इन राज्यों ने नवजात मृत्यु दर, पांच साल से कम के शिशुओं की मृत्यु दर, पूर्ण टीकाकरण तथा संस्थागत प्रसव के मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया.
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने यह रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, सरकारी शोध संस्थान का मानना है कि स्वास्थ्य सूचकांक सरकार व सहकारिता संघवाद के इस्तेमाल के उपकरण के रूप में काम करेगा. छोटे राज्यों में रैंकिंग के मामले में मणिपुर दूसरे और मेघालय तीसरे स्थान पर हैं. वहीं सुधार के मामले में मणिपुर पहले, गोवा दूसरे और मेघालय तीसरे स्थान पर है. केंद्र शासित प्रदेशों में लक्षद्वीप के बाद चंडीगढ़ दूसरे और दिल्ली तीसरे स्थान पर है. सुधार के मामले में भी लक्षद्वीप पहले, अंडमान निकोबार दूसरे और दादर एवं नागर हवेली तीसरे स्थान पर हैं. 

रिपोर्ट में कहा गया है हालांकि भारत ने जीवन प्रत्याशा बढ़ाने और शिशु एवं मातृ मृत्यु दर कम करने के मामले में काफी प्रगति की है लेकिन एक राष्ट्र के रूप में सुधार की हमारी दर अपर्याप्त है. नीति आयोग ने कहा है कि उसका फोकस बदलाव को गति देने और उन राज्यों को रेखांकित करना है जिन्होंने सबसे ज्यादा सुधार किया है. सुधार का आकलन वर्ष 2014-15 की तुलना में 2015-16 के प्रदर्शन से किया गया है. यह रिपोर्ट स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर तैयार की गयी है.

सहारा न्यूज ब्यूरो


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