भारत की विकास दर 7.5 प्रतिशत रहेगी

Last Updated 22 Jan 2010 04:20:36 PM IST


वाशिंगटन। विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय राहत पैकेज के समाप्त कर दिए जाने के कारण इस वर्ष आगे चलकर वैश्विक आर्थिक सुधार की गति धीमी रहेगी,लेकिन इसके बावजूद कुशल व्यापक आर्थिक प्रबंधन के कारण भारत की विकास दर 7.5 प्रतिशत हो सकती है। गुरुवार को जारी की गई ग्लोबल इकॉनॉमिक प्रास्पेक्ट्स (जीईपी) 2010 (वैश्विक आर्थिक संभावनाएं -2010) नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2008 के छह प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2011 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आठ प्रतिशत तक होने की संभावना है। हालांकि इस रिपोर्ट में चेतावनी भी दी गई है कि वित्तीय संकट का बुरा दिन भले समाप्त हो जाए, लेकिन वैश्विक आर्थिक सुधार की स्थिति काफी कमजोर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि संकट से उबरने की यह घटना अगले 10 वर्षो तक वित्त और विकास का नक्शा बदल देगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में भारी वित्तीय राहत पैकेज के द्वारा और भारत के कुशल व्यापक आर्थिक प्रबंधन के द्वारा पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र के साथ ही दक्षिण एशिया, खासतौर से भारत में विकास दर लचीला और प्रवाहमय बना हुआ है। वैश्विक जीडीपी में वर्ष 2009 के दौरान 2.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। इस वर्ष वैश्विक जीडीपी में 2.7 प्रतिशत तथा वर्ष 2010 में 3.2 प्रतिशत रहने की संभावना है,लेकिन यहीं पर विकासशील देशों के लिए अपेक्षाकृत अधिक मजबूत सुधार की संभावनाएं व्यक्त की गई हैं। विकासशील देशों में इस वर्ष 5.2 प्रतिशत तथा वर्ष 2011 के लिए 5.8 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना जताई गई है। वर्ष 2009 में धनी देशों के जीडीपी में 3.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन इन देशों में वर्ष 2010 और 2011 के लिए क्रमश: 1.8 और 2.3 प्रतिशत तक की वृद्धि की संभावना व्यक्त की गई है। दुनिया के व्यापारिक दायरे में वर्ष 2009 के दौरान बुरी तरह 14.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन मौजूदा वर्ष और वर्ष 2011 में इसमें क्रमश: 4.3 और 6.2 प्रतिशत के विस्तार की संभावना व्यक्त की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन को छोड़ कर बाकी अन्य विकासशील देशों में वर्ष 2010 और 2011 के दौरान क्रमश: 3.3 और 3.9 प्रतिशत वृद्धि दर की संभावना है।



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