भारत के उपराष्ट्रपति को नहीं मिलता नियमित वेतन

Last Updated 08 Sep 2025 10:21:31 AM IST

भारत के उपराष्ट्रपति का पद संभवत: एकमात्र ऐसा पद है जिसे नियमित वेतन का लाभ नहीं मिलता है। देश में दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद उपराष्ट्रपति को संसद के ऊपरी सदन, राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में अपनी भूमिका के लिए वेतन मिलता है।


राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन की ओर से उम्मीदवार पी सुदर्शन रेड्डी नौ सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मैदान में हैं। यह चुनाव 21 जुलाई को जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफे के कारण आवश्यक हो गया है। 

उपराष्ट्रपति का वेतन और भत्ते संसद अधिकारियों के वेतन और भत्ते अधिनियम, 1953 के तहत निर्धारित किए जाते हैं।

अधिकारियों ने बताया, उपराष्ट्रपति के लिए किसी विशिष्ट वेतन का प्रावधान नहीं है, इसके बजाय, उन्हें राज्यसभा के सभापति के रूप में उनकी भूमिका के अनुरूप पारिश्रमिक और लाभ मिलते हैं।

उपराष्ट्रपति, कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका में कार्यभार संभालने पर, भारत के राष्ट्रपति का वेतन पाने के हकदार होते हैं। ऐसी स्थिति में, उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति नहीं रह जाते।

राज्यसभा के सभापति को चार लाख रुपए प्रति माह वेतन मिलता है।

उपराष्ट्रपति को कई सुविधाएं और भत्ते मिलते हैं, जैसे नि:शुल्क आवास, चिकित्सा देखभाल, रेल और हवाई यात्रा, लैंडलाइन कनेक्शन, मोबाइल फोन सेवा, व्यक्तिगत सुरक्षा और कर्मचारी।

पूर्व उपराष्ट्रपति को लगभग दो लाख रुपए प्रति माह पेंशन, टाइप-8 बंगला, एक निजी सचिव, एक अतिरिक्त निजी सचिव, एक निजी सहायक, एक चिकित्सक, एक नर्सिंग अधिकारी और चार निजी परिचारक मिलते हैं।

भाषा
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment