भारत से खुंदक निकाल रहे ट्रंप की अकड़ ढीली

Last Updated 08 Sep 2025 02:22:54 PM IST

जैसी कि उम्मीद थी ठीक वैसा ही हुआ। अभी तक भारत से खुंदक निकाल रहे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आखिर, पलटी मार गए।


भारत से खुंदक निकाल रहे ट्रंप की अकड़ ढीली

 भारत को धो-धो कर कोस रहे ट्रंप समझ चुके हैं कि उनकी तिरछी चाल से भारत का तो जो होगा सो होगा बेइज्जती तो अमेरिका और उनकी खुद की होने वाली है। शुल्क और रूसी तेल खरीद को लेकर अमेरिका और भारत के मध्य भारी तनाव पैदा करने के बाद ट्रंप ने कहा कि दोनों देशों के बीच विशेष संबंध हैं। इस पलटी को खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे के सिवा और क्या कहा जा सकता है। दोनों देशों के बीच संबंध पिछले दो दशकों में सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं।

अपने मित्र मोदी से मित्रता को याद करते हुए ट्रंप कहे बिना नहीं रह सके कि ‘मैं हमेशा मोदी का दोस्त रहूंगा..वह शानदार प्रधानमंत्री हैं।’ ट्रंप की इस चालबाजी को भांपते हुए भारत को गद्गद् होने की जरूरत नहीं है। ट्रंप ने पिछले कुछ समय में भारत के साथ जो  अपमानकारी हरकतें की हैं, उन्हें भारत को नहीं भूलना चाहिए। अपनी आदत से बाज न आते हुए अब भी उन्होंने यह तो कह ही दिया कि उन्हें इस समय मोदी द्वारा किए जा रहे काम पसंद नहीं आ रहे।

वह इस बात से निराश हैं कि भारत रूस से बहुत ज्यादा तेल खरीद रहा है। इससे पहले ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर अपनी पोस्ट में कहा था, ‘लगता है हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। ईर करे कि उनका भविष्य दीर्घकालिक और समृद्ध हो।’ ट्रंप चीन से भारत के सुधरते रिश्तों में खटास लाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन से आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के ठहाके लगाते चित्रों ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा।

इससे ट्रंप की बेचैनी बढ़ी हुई है। वह किसी भी तरह इन तीनों नेताओं में दूरी पैदा करना चाहते हैं। भारत को चाहिए कि वह बदलती वैश्विक जरूरतों में अपना फायदा देखते हुए किसी चालबाजी में न फंसे। अपनी शतरे पर व्यापार करना एक सार्वभौमिक राष्ट्र का अपना मसला है, हम किससे तेल खरीदें या न खरीदें और कितना खरीदें अमेरिका को बीच में पड़ने की जरूरत नहीं है।

मोदी ने ट्रंप की चाल को भांपते हुए जो सधी हुई प्रतिक्रिया दी है, उसकी प्रशंसा की जा सकती है क्योंकि परिदृश्य में आया बदलाव ट्रंप और अमेरिका पर पड़े दबाव को दिखाता है। भारत को किसी की लल्लोचप्पो में आने की जरूरत नहीं है। ये ट्रंप के सीधी लाइन पर आने के संकेत हैं।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment