Hindenburg Research: हिंडनबर्ग आरोप पर कांग्रेस ने की मोदी सरकार की आलोचना, कहा- जेपीसी जरूरी, शीर्ष अदालत से ‘घोटाले’ का संज्ञान लेने की अपील
कांग्रेस ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी -SEBI) की अध्यक्ष माधवी बुच के खिलाफ अमेरिका की शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को लेकर नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की रविवार को आलोचना की।
![]() हिंडनबर्ग मामला |
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि सेबी की अध्यक्ष के खिलाफ लगे आरोपों से संस्था की शुचिता के साथ ‘‘गंभीर समझौता’’ हुआ है और पूरे मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग की।
गांधी ने इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि अब यह ‘‘पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री मोदी जेपीसी की जांच से इतने डरे हुए क्यों हैं।’’
कांग्रेस ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को ‘‘पूरे घोटाले’’ का स्वत: संज्ञान लेना चाहिए तथा अपने अधीन जांच करानी चाहिए क्योंकि यहां जांच एजेंसी सेबी पर ही इसमें शामिल होने का आरोप है। ऐसे ‘‘गंभीर आरोपों’’ की पृष्ठभूमि में बुच अपने पद पर नहीं रह सकती हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सेबी ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष अदाणी को हिंडनबर्ग के जनवरी 2023 के खुलासों में ‘क्लीन चिट’ दी थी। खरगे ने कहा कि हालांकि, सेबी प्रमुख के संबंध में ‘‘परस्पर फायदा पहुंचाने’’ के नए आरोप सामने आए हैं। मध्यम वर्ग के छोटे और मध्यम निवेशकों को संरक्षण दिए जाने की जरूरत है क्योंकि वे अपनी मेहनत की कमाई शेयर बाजार में लगाते हैं और उनका सेबी पर भरोसा है। उन्होंने कहा, ‘‘इस बड़े घोटाले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति की जांच जरूरी है।"
खरगे ने कहा, ‘‘जब तक इस महा-घोटाले में जेपीसी जांच नहीं होगी, तब तक मोदी जी अपने मित्र की मदद करते रहेंगे और देश की संवैधानिक संस्थाएं तार-तार होती रहेंगी।’’
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने संवाददाता सम्मेलन में सवाल किया कि प्रधानमंत्री मोदी और सरकार का "अपने बाजार नियामक" के ऐसे आरोपों से घिरे होने के बारे में क्या कहना है।
राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘छोटे खुदरा निवेशकों की संपत्ति की सुरक्षा का दायित्व निभाने वाले प्रतिभूति नियामक सेबी की शुचिता, इसकी अध्यक्ष के खिलाफ लगे आरोपों से गंभीर रूप से प्रभावित हुई है।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘देश भर के ईमानदार निवेशकों के मन में सरकार के लिए कई सवाल हैं: सेबी की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच ने अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया? अगर निवेशकों की गाढ़ी कमाई डूब जाती है, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सेबी अध्यक्ष या गौतम अदाणी?’’
गांधी ने सवाल किया कि सामने आए नए और ‘‘बेहद गंभीर’’ आरोपों के मद्देनजर क्या उच्चतम न्यायालय इस मामले की फिर से स्वतः संज्ञान लेकर जांच करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘अब यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री मोदी जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) जांच से इतना क्यों डरते हैं और इससे क्या खुलासा हो सकता है।’’
कांग्रेस नेता ने इस मुद्दे पर अपना एक वीडियो बयान भी पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता के रूप में यह उनका कर्तव्य है कि वह लोगों के ध्यान में लाएं कि भारतीय शेयर बाजार में ‘‘काफी जोखिम’’ है, क्योंकि बाजार को नियंत्रित करने वाली संस्था ‘‘समझौता’’ कर चुकी है।
गांधी ने वीडियो में कहा, ‘‘कल्पना कीजिए कि आप भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच देख रहे हैं और मैच देखने वाला और खेलने वाला हर व्यक्ति जानता है कि अंपायर ने समझौता कर लिया है। क्या मैच निष्पक्ष होगा, नतीजा क्या होगा। मैच में भाग लेने वाले व्यक्ति के रूप में आपको कैसा लगेगा?’’
कांग्रेस नेता ने कहा कि भारतीय शेयर बाजार में बिल्कुल यही हो रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में लोग भारत के शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं। गांधी ने कहा, ‘‘वे अपनी मेहनत और ईमानदारी से कमाई गई बचत को शेयर बाजार में निवेश करते हैं और विपक्ष के नेता के रूप में यह मेरा कर्तव्य है कि मैं आपके ध्यान में लाऊं कि भारतीय शेयर बाजार में काफी जोखिम है, क्योंकि शेयर बाजार को नियंत्रित करने वाली संस्था से समझौता किया गया है।’’
गांधी ने कहा, ‘‘अब मैं आपको विस्तार से बताऊंगा कि यह कैसे और क्यों समझौता किया गया। अदाणी समूह के खिलाफ एक बहुत ही गंभीर आरोप अवैध शेयर स्वामित्व और ऑफशोर फंड का उपयोग करके मूल्य हेरफेर का था। अब यह सामने आया है कि सेबी की अध्यक्ष माधवी बुच और उनके पति का उन फंड में से एक में हित था। यह एक विस्फोटक आरोप है क्योंकि इसमें आरोप लगाया गया है कि अंपायर खुद समझौता कर चुके हैं।’’
हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को आरोप लगाया कि सेबी की अध्यक्ष बुच और उनके पति के पास कथित अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ‘विदेशी फंड’ में हिस्सेदारी थी।
सेबी प्रमुख बुच और उनके पति ने एक संयुक्त बयान जारी कर हिंडनबर्ग के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे पूरी तरह से बेबुनियाद बताया है।
अदाणी समूह ने अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के नवीनतम आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और चुनिंदा सार्वजनिक सूचनाओं से छेड़छाड़ करने वाला बताते हुए रविवार को कहा कि उसका बाजार नियामक सेबी की अध्यक्ष या उनके पति के साथ कोई वाणिज्यिक संबंध नहीं है।
इस घटनाक्रम पर एक बयान में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार को कहा था कि सेबी की ‘‘अदाणी महाघोटाले की जांच करने में अनिच्छा’’ लंबे समय से सबके सामने है तथा उच्चतम न्यायालय की विशेषज्ञ समिति ने विशेष रूप से इसका संज्ञान लिया था। उनका यह बयान रविवार को ‘एक्स’ पर दोबारा पोस्ट किया गया।
रमेश ने कहा कि समिति ने इस बात पर गौर किया है कि सेबी ने 2018 में विदेशी निधियों के अंतिम लाभकारी (अर्थात वास्तविक स्वामित्व) से संबंधित रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को कमजोर किया था तथा 2019 में इसे पूरी तरह से हटा दिया था।
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