कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल के अचानक इस्तीफा देने से एक संवैधानिक संकट पैदा हो गया है और केंद्र ने अभी तक इस मामले पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।
|
कार्ति ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि एक संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के इस्तीफा देने को लेकर कोई संवाददाता सम्मेलन नहीं किया गया और न ही कोई वजह बतायी गयी।
उन्होंने कहा, ‘‘एक परिपक्व लोकतंत्र में अगर संवैधानिक पद पर बैठा कोई वरिष्ठ पदाधिकारी इस्तीफा देता है, तो कम से कम इस्तीफे की वजह बताने के लिए कोई संवाददाता सम्मेलन होगा या कोई बयान जारी होगा। उनके अचानक इस्तीफा देने से एक संवैधानिक संकट पैदा हो गया है और सरकार ने इस पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।’’
कांग्रेस नेता ने कहा कि यह दुख की बात है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले यह हुआ है।
शक्तियों के हस्तांतरण और उपकर लगाने जैसे मुद्दों पर उन्होंने कहा कि केंद्र, राज्य सरकारों के अधिकारों का सम्मान नहीं करता है।
संविधान में संशोधन करने के लिए भारतीय जनता पार्टी के पास संसद में दो-तिहाई बहुमत होने की आवश्यकता संबंधी भाजपा सांसद अनंतकुमार हेगड़े के बयान पर उन्होंने कहा कि ऐसे सभी कारकों ने देश में ‘‘खतरनाक’’ स्थिति पैदा कर दी है।
कार्ति ने आरोप लगाया कि भाजपा सांसद ने यह नहीं बताया कि उनकी पार्टी क्या करना चाहती है, लेकिन यह साफ है कि ‘‘धर्मनिरपेक्षता’’ को खत्म करने और देश को ‘‘हिंदू राष्ट्र’’ घोषित करने की उनकी इच्छा है।
उन्होंने कहा कि आम चुनाव ऐसे मुद्दों पर आधारित होगा और लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संविधान तथा राज्यों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए केंद्र में भाजपा सरकार को सत्ता से बाहर करना होगा और एक नयी सरकार का चुनाव करना होगा। उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस) इस दिशा में काम कर रहा है।
कार्ति ने कहा कि निर्वाचन आयुक्त चुनने के लिए संशोधित नियमों के अनुसार प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रिमंडल का सदस्य और विपक्ष का एक नेता निर्वाचन आयुक्त का चुनाव कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि, सरकार के पास बहुमत है और इसलिए चुनाव महज एक औपचारिकता है।
| | |
|