Delhi Riots 2020: उमर खालिद ने जमानत नहीं देने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का किया रुख

Last Updated 10 Sep 2025 04:35:29 PM IST

कार्यकर्ता उमर खालिद ने राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी 2020 में हुए दंगों के पीछे कथित साजिश से जुड़े गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के एक मामले में अपनी जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है।


उच्च न्यायालय ने 2 सितंबर को इस मामले में खालिद और शरजील इमाम सहित नौ लोगों को जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि नागरिकों द्वारा प्रदर्शनों की आड़ में ‘षड्यंत्रकारी’ हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती।

जिन लोगों की जमानत खारिज की गई उनमें खालिद, इमाम, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी, गुलफिशा फातिमा और शादाब अहमद शामिल हैं।

एक अन्य आरोपी तस्लीम अहमद की जमानत याचिका 2 सितंबर को उच्च न्यायालय की एक अलग पीठ ने खारिज कर दी थी।

पिछले हफ्ते, इमाम और गुलफिशा फातिमा ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था।

नौ आरोपियों को ज़मानत देने से इनकार करते हुए अपने आदेश में, उच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान नागरिकों को विरोध प्रदर्शन या आंदोलन करने का अधिकार देता है, बशर्ते वे व्यवस्थित, शांतिपूर्ण और बिना हथियारों के हों और ऐसी कार्रवाई कानून के दायरे में होनी चाहिए।

खालिद, इमाम और बाकी आरोपियों पर फरवरी 2020 के दंगों के कथित ‘मास्टरमाइंड’ होने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा घायल हो गए थे।

सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी।

इन आरोपियों ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है। ये 2020 से जेल में हैं और निचली अदालत द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में जमानत की गुहार लगाई थी।
 

भाषा
नई दिल्ली


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