अतीक और अशरफ की हत्या पर पक्ष-विपक्ष में घमासान
प्रयागराज की धरती पर शनिवार की रात लगभग साढ़े दस बजे जो कुछ भी हुआ उसे सही कहा जा सकता है? पुलिस की कस्टडी में दो अभियुक्तों की गोली मारकर हत्या कर दी जाती है। हालांकि मारे गए अभियुक्तों पर हत्या, चोरी और अपहरण जैसे कई दर्जन मामले दर्ज थे
![]() अतीक और अशरफ ( file photo) |
अतीक और अशरफ की हत्या पर पक्ष-विपक्ष में घमासान
प्रयागराज की धरती पर शनिवार की रात लगभग साढ़े दस बजे जो कुछ भी हुआ उसे सही कहा जा सकता है? पुलिस की कस्टडी में दो अभियुक्तों की गोली मारकर हत्या कर दी जाती है। हालांकि मारे गए अभियुक्तों पर हत्या, चोरी और अपहरण जैसे कई दर्जन मामले दर्ज थे ! मारे गए अभियुक्त शरीफ नहीं थे, लेकिन उन्हें अदालत ने यह कह कर पुलिस को सौंपा था कि आप इनसे जो भी पूछना है, पूछ लीजिए उसके बाद सकुशल हमारे पास लेकर आइए।
पुलिस ने कोर्ट से निवेदन किया था कि उन आरोपियों से कुछ जरूरी पूछताछ करनी है, लिहाज़ा उन्हें रिमांड पर दिया जाए। कोर्ट ने पुलिस के निवेदन को स्वीकार करते हुए उन अभियुक्तों को रिमांड पर दे दिया। हंड्रेड परसेंट इस उम्मीद में कि पुलिस उनसे पूछताछ करके ना सिर्फ उनके द्वारा किए गए अपराधों की तह तक पहुंचेगी बल्कि उन्होंने जो अपराध किए हैं, उसको लेकर पुलिस कुछ ऐसे सबूत पेश करेगी ताकि उन्हें उनके द्वारा किए गए जुर्मों की सजा दी जा सके। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हुआ नहीं। उन दोनों को मार दिया गया। अब इस मामले में कानून के जानकार ही बताएंगे कि पुलिस, कोर्ट को क्या जवाब देगी।
शनिवार की रात को जो कुछ भी हुआ, उसे देखकर देश की कोई भी अदालत आने वाले समय में किसी भी आरोपी को पुलिस रिमांड देते समय क्या रुख अख्तियार करेगी? यह सवाल बहुत दिनों तक गूँजता रहेगा। यहां बता दें कि शनिवार की रात जो हुआ वह पुलिस मुठभेड़ नहीं था। वहां सीधे-सीधे हत्या की गई थी। हमारे देश का संविधान कहता है कि बड़े से बड़े अपराधी की भी अगर कोई हत्या करता है तो, वह हत्यारा ही कहलाता है। हालांकि आत्मारक्षा के दौरान हुए ऐसे मामलों को हत्या की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। लेकिन इस वारदात को शायद पूरी दुनिया ने देखा होगा कि कैसे हत्या की गई।
अब इस मामले को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। बीजेपी के एक वरीष्ठ मंत्री, सुरेश खन्ना ने एक ऐसा बयान दिया है, जिस पर निश्चित ही चर्चा हो रही हो होगी। उन्होंने कहा है कि कुछ फैसले आसमानी होते हैं। कुछ फैसले कुदरत करता है। यानी उनकी नजर में जो भी हुआ है वह कुदरत की मर्जी से हुआ है। उन तीनों लड़कों को कुदरत ने भेजा था कि जाओ और दोनों अभियुक्तों की हत्या करके आ जाओ। यहां एक सवाल यह पैदा होता है कि जिस अभियुक्त, अतीक अहमद को गुजरात की साबरमती जेल से इतनी भारी भरकम सुरक्षा में प्रयागराज लाया गया था, उसे शनिवार की रात में मात्र कुछ पुलिस वालों के भरोसे क्यों अस्पताल ले जाया गया। उनके साथ बड़े अधिकारियों में सबसे बड़े अधिकारी के रूप में एक इंस्पेक्टर या एसएचओ की ही तैनाती क्यों थी। उनके साथ एकाद डिप्टी एसपी क्यों नहीं थे।
हालांकि अब प्रयागराज कमिश्नरेट हो गया है, लिहाज़ा अब वहां डिप्टी एसपी वाली पोस्ट एडीसीपी यानी एडिशनल डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस हो गई है। दूसरा सवाल यह पैदा होता है कि इतने संवेदनशील मामलों को लेकर पुलिस को जिस एक्शन मोड में होना चाहिए, वैसा क्यों नहीं था। घटना का वीडियो देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस बड़े ही कैज़ुअल तरीके से अतीक और अशरफ को लेकर अस्पताल गई थी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य नाथ योगी की अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस पॉलिसी सबको पसंद आ रही है। अपराधियों पर अंकुश लगना चाहिए। उनके अंदर कानून और पुलिस का भय होना भी चाहिए, लेकिन भय अपराध न करने का होना चाहिए,भय कानून को अपने हाथ मे ना लेने का होना चाहिए। पुलिस हिरासत में हत्या होने का भय नहीं होना चाहिए। विपक्ष की पार्टियां इस मामले को लेकर योगी सरकार को घेरने की कोशिश कर रही हैं। हालांकि योगी सरकार ने 17 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर और इस मामले की न्यायिक जांच करने का निर्देश देकर यह बताने की कोशिश की है कि इस मामले में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्यवाई जरूर की जाएगी।
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