NCERT : पुस्तकों से महत्वपूर्ण हिस्सों को हटाना तर्कसंगत नहीं: शिक्षक संगठन
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने हाल ही में इतिहास की किताबों में कुछ अंश को हटा दिया है।
![]() राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) |
खासकर अपनी 12वीं कक्षा के पाठ्यपुस्तक से मुगलों और 11 वीं कक्षा की किताब से उपनिवेशवाद से संबंधित कुछ अंश को हटाया गया है। डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (Democratic Teachers Front) के मुताबिक इन महत्वपूर्ण हिस्सों को हटाना किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं।
NCERT ने यह कदम उठाने के पीछे तर्क दिया गया कि हर जगह छात्रों पर कोविड (COVID) का दबाव था। इसके साथ ही यह भी दावा किया गया कि इन अंशों को भारतीय मुगलों (Indian Mughals) और उपनिवेशवाद (colonialism) को छोड़ने से बच्चों के ज्ञान पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके साथ ही कहा गया कि इससे बच्चों पर अनावश्यक बोझ हटाया जा सकता है। टीचर्स फ्रंट के मुताबिक, इन दावों में वैज्ञानिक नजरिए से इतिहास शिक्षण का रत्ती मात्र अंश भी नहीं है।
डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने कहा कुछ हिस्सों को हटाना तर्कसंगत नहीं
डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (Democratic Teachers Front) की अध्यक्ष नंदिता नारायण )Nandita Narayan) के मुताबिक, सीबीएसई (CBSE) प्रारूप में ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा में अधिकांश विषय ऐच्छिक हैं। यदि किसी छात्र ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा में इतिहास को एक विषय के रूप में चुनता है, तो यह उस छात्र को इस विषय को गहराई से समझने के लिए उन तमाम बहस और बारीकियों को जानना होगा। ऐसे में इन महत्वपूर्ण हिस्सों को हटाना किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं है। इसके अलावा कोविड (COVID) का दबाव अब प्रासंगिक नहीं है। इसलिए पाठ्यक्रम के विवेकसम्मत और युक्तिकरण के दावों में कोई दम नहीं है।
टीचर्स फ्रंट की सचिव प्रोफेसर आभा देव हबीब (Abha Dev Habib) का कहना है कि इसके साथ ही NCERT का तर्कसंगत बनाने के नाम पर किया गया यह हस्तक्षेप अनुशासन के तौर पर इतिहास विषय और उसके शिक्षण-शास्त्र के संदर्भ में उनके नजरिए को नग्न करने के लिए काफी है। भारत के संविधान में नागरिकों के वैज्ञानिक नजरिए के विकास की बात की गई है। इस नजरिए से भारत के बहुलतावादी, विविधता लिए जो समावेशी स्वरूप को नहीं बचाया जा सकता। इस नजरिए से तो पूरी दुनिया में भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी के केंद्र के रूप में उभरे, इसकी किसी भी संभावना को भी समाप्त कर देगा।
उन्होंने कहा कि यदि 'व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी (whatsapp university)' को भारतीय स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के भक्षण की खुली छूट इसी तरह से दी जाएगी तो इससे भारतीय लोकतंत्र गंभीर रूप से प्रभावित होगा।
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