लोन मोरेटोरियम: केंद्र के प्रस्ताव पर सुप्रीम कोर्ट ने जताया असंतोष, 13 अक्टूबर को होगी सुनवाई

Last Updated 05 Oct 2020 02:11:02 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन के मद्देनजर बैंक ऋण मोरेटोरियम मामले में केंद्र की ओर से अस्पष्ट हलफनामे के मद्देनजर एक सप्ताह के भीतर नया हलफनामा दायर करने का केंद्र सरकार तथा अन्य को सोमवार को निर्देश दिया और सुनवाई 13 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी।


न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि‘ब्याज पर ब्याज’माफी को लेकर केंद्र द्वारा दाखिल किया गया हलफनामा संतोषजनक नहीं है। खंडपीठ ने केंद्र सरकार और आरबीआई के अलावा इंडियन बैंक एसोसिएशन तथा निजी बैंकों को नया हलफनामा दायर करके संबंधित मामले में नीतिगत निर्णय, अंतिम अवधि, इससे जुड़े सकरुलर आदि को स्पष्ट करने को कहा है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से खंडपीठ के समक्ष यह दलील दी गयी कि केंद्र की ओर से दो अक्टूबर को दायर शपथपा में कई मुद्दों पर चुप्पी साधी गयी है। खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील का संज्ञान लिया।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव दत्ता ने कहा कि हलफनामा में दो करोड़ रुपये तक के ऋण पर चक्रवृद्धि ब्याज को माफ करने का सरकार ने जिक्र तो किया है, लेकिन इससे संबंधित किसी भी नीतिगत फैसले को रिकॉर्ड में अभी नहीं लाया गया है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने दो करोड़ रुपये तक के लोन पर ‘ब्याज पर ब्याज’ माफ करने को कहा था। इसका बोझ खुद केंद्र सरकार उठाएगी, जो अनुमानित तौर पर 5,000 से 7,000 करोड़ रुपये होगा।

इससे पहले सुनवाई के दौरान सरकार से कहा गया कि वह रियल एस्टेट और बिजली उत्पादकों को भी इसके दायरे में लायें। न्यायमूर्ति भूषण ने सरकार से कहा कि फैसले के ऐलान के बाद केंद्र या आरबीआई की तरफ से‘कोई परिणामी आदेश या सकुर्लर’नहीं जारी किया गया।

केंद्र सरकार ने गत शुक्रवार को शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर करके बताया था कि वह छोटे कारोबार, शिक्षा, हाउसिंग और क्रेडिट कार्ड समेत कुछ ऋणों के लिए मोरेटोरियम की अविध के दौरान लगने वाले चक्रवृद्धि ब्याज को माफ करेगी।
 

वार्ता
नई दिल्ली


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