चीफ जस्टिस रंजन गोगोई बोले- मैं खुद जाऊंगा जम्मू कश्मीर, लूंगा हालात का जायजा

Last Updated 16 Sep 2019 03:28:10 PM IST

जम्मू कश्मीर में लोगों को राज्य के उच्च न्यायालय तक पहुंचने में कथित रूप से हो रही कठिनाइयों को अत्यधिक गंभीर बताते हुये उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को मुख्य न्यायाधीश से इस मामले में अपनी रिपोर्ट भेजने का अनुरोध किया।


प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई (फाइल फोटो)

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि इन आरोपों को गंभीरता से लेने के लिये उच्चतम न्यायालय बाध्य है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो वह खुद श्रीनगर जायेंगे।     

पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी से कहा, ‘‘यदि आप ऐसा कह रहे हैं तो हमें इसका गंभीरता से संज्ञान लेना होगा। हमें बतायें कि लोगों को उच्च न्यायालय जाना क्यों बहुत मुश्किल हो रहा है। क्या कोई उन्हें उच्च न्यायालय जाने से रोक रहा है? यह बहुत ही गंभीर मामला है।’’     

दो बाल अधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अहमदी ने पीठ से कहा कि राज्य में लोगों के लिये उच्च न्यायालय तक जाना बहुत ही मुश्किल है।    

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आप कह रहे हैं कि आप उच्च न्यायालय नहीं जा सकते। हमने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट मंगायी है। यदि आवश्यक हुआ, मैं खुद वहां जाऊंगा।’’     

इसके साथ ही पीठ ने आगाह भी किया कि अगर ये आरोप गलत पाये गये तो याचिकाकर्ताओं को इसके नतीजे भुगतने के लिये तैयार रहना चाहिए।     

जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि राज्य में सभी अदालतें काम कर रही हैं। यहां तक कि वहां लोक अदालत भी लगी है।    

न्यायालय कश्मीर में बच्चों को नजरबंद किये जाने के मामले में शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप के लिये दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था।     

राज्य के बंटवारे और अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान रद्द करने के बाद जम्मू कश्मीर में बच्चों को गैर कानूनी तरीके से नजरबंद किये जाने के खिलाफ बाल अधिकारों के विशेषज्ञ इनाक्षी गांगुली और प्रोफेसर शांता सिन्हा ने यह याचिका दायर की है।      

याचिका में दावा किया गया है कि 18 साल की आयु से कम के उम्र के सभी व्यक्तियों, जिन्हें हिरासत में लिया गया है, उनकी आयु की गणना के जरिये पहचान की जानी चाहिए। याचिका में गैरकानूनी हिरासत में रखे गये बच्चों को उच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति के समक्ष पेश करने और उन्हें मुआवजा दिलाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

 

भाषा
नयी दिल्ली


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