एनएमसी विधेयक विरोध: हड़ताल कर रहे डॉक्टरों से मिले हषर्वर्धन; काम पर लौटने की अपील की

Last Updated 02 Aug 2019 01:24:53 PM IST

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक के खिलाफ रेजिडेंट डॉक्टरों ने शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन हड़ताल जारी रखी और आपात विभाग समेत सभी सेवाओं को बंद कर दिया।


प्रतिकात्मक फोटो

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हषर्वर्धन ने हड़ताल कर रहे डॉक्टरों से काम पर लौटने की शुक्रवार को अपील करते हुए कहा कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक चिकित्सकों एवं मरीजों के ‘‘हित’’ में है।       

उन्होंने विभिन्न चिकित्सक संघों के रेजिडेंट डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान यह अपील की जो विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं।     

इन संघों ने आरोप लगाया कि विधेयक में ऐसे प्रावधान हैं जो ‘‘गरीब विरोधी, छात्र विरोधी एवं अलोकतांत्रिक हैं।’’      

रेजिडेंट डॉक्टरों ने विधेयक के विरोध में शुक्रवार को भी अपनी हड़ताल जारी रखते हुए सभी सेवाएं वापस ले लीं हैं यहां तक कि अस्पतालों के आपात विभागों से भी। यह विधेयक भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के कायाकल्प की बात करता है।       

हर्ष वर्धन ने कहा, ‘‘मैंने उन्हें समझाया कि यह ऐतिहासिक विधेयक चिकित्सकों एवं मरीजों के हित में है। मैंने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर उनके सवालों के जवाब भी दिए।     ‘‘मैंने उनसे हड़ताल खत्म करने की अपील की। मैंने उनसे कहा कि हड़ताल करने की कोई वजह नहीं है। डॉक्टरों को मरीजों के प्रति अपने कर्तव्यों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए।’’

राज्यसभा ने गुरूवार को चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाने के प्रस्ताव वाले ‘राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक-2019’ को मंजूरी दे दी थी। इसमें चिकित्सा क्षेत्र एवं चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र के नियमन के लिये भारतीय चिकित्सा परिषद की जगह एनएमसी के गठन का प्रस्ताव है। वैसे तो इस विधेयक को लोकसभा की मंजूरी मिल गयी है लेकिन दो नये संशोधनों के कारण इसे अब फिर निचले सदन में भेजकर उसकी मंजूरी ली जायेगी।    

एम्स, आरएमलएल अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल और एलएनजेपी अस्पताल समेत कई सरकारी अस्पतालों के सैकड़ों चिकित्सकों ने काम का बहिष्कार किया, मार्च निकाले और विधेयक के खिलाफ नारे लगाए।    

एम्स और सफदरजंग अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों और स्नातक की पढाई कर रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शनों के कारण बृहस्पतिवार सुबहंिरग रोड पर यातायात बाधित हो गया। पुलिस ने उन्हें संसद की ओर मार्च करने से रोक दिया। प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को हिरासत में ले लिया गया और उन्हें बाद में रिहा कर दिया गया।           

फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) से जुड़े डॉक्टरों के एक अन्य समूह ने आरएमएल अस्पताल से संसद तक मार्च करने की योजना बनाई थी। फोर्डा के महासचिव डॉ. सुनील अरोड़ा ने दावा किया कि डॉक्टरों को संसद की ओर जाने से रोक दिया गया।      

मरीजों को हड़ताल के बारे में जानकारी नहीं थी जिसके कारण कुछ मरीज घर लौट गए और कुछ ने काफी समय तक इंतजार किया।      

लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल, बी आर अंबेडकर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, डीडीयू अस्तपाल तथा संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी काम का बहिष्कार किया और हड़ताल में शामिल हो गए।    



राष्ट्रीय राजधानी के अस्पतालों में नियमित सेवाएं बाधित होने के कारण आकस्मिक योजनाएं लागू की गई हैं।  कई अस्पतालों में आपात विभाग और आईसीयू में फैकल्टी सदस्यों, प्रायोजित रेजीडेंट्स, पूल अधिकारी, अन्य चिकित्सा या सर्जिकल विभाग के डॉक्टरों को बुलाया गया जबकि ओपीडी, रेडियो-डायग्नोसिस और लैबोरेटरी डायग्नोसिस सेवाएं कई स्थानों पर बंद रहीं।      

प्राधिकारियों ने बताया कि नियमित ऑपरेशन रद्द कर दिए गए हैं और कई अस्पतालों में केवल आपात मामले ही देखे जा रहे हैं।      

चिकित्सा जगत ने यह कहते हुए विधेयक का विरोध किया कि विधेयक ‘‘गरीब विरोधी, छात्र विरोधी और अलोकतांत्रिक’’ है।      

भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने भी विधेयक की कई धाराओं पर आपत्ति जताई है। आईएमए ने बुधवार को 24 घंटे के लिए गैर जरूरी सेवाओं को बंद करने का आह्वान किया था।       

एम्स आरडीए, फोर्डा और यूनाइटेड आरडीए ने संयुक्त बयान में कहा था कि इस विधेयक के प्रावधान कठोर हैं।

 

भाषा
नई दिल्ली


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