बैक टू विलेज की सराहना, विकास की शक्ति बंदूक पर भारी : मोदी

Last Updated 28 Jul 2019 07:16:32 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू कश्मीर में सरकार से जनता का सीधा संवाद स्थापित करने के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रम ‘बैक टू विलेज’ की सराहना करते हुए रविवार को कहा कि विकास की शक्ति बम - बन्दूक की ताकत पर हमेशा भारी पड़ती है।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में आकशवाणी पर प्रसारित मन की बात की दूसरी कड़ी में कहा, ‘‘कश्मीर के हमारे भाई-बहन गुड गर्वनेंस चाहते हैं। इससे यह भी सिद्ध हो जाता है कि विकास की शक्ति बम-बंदूक की शक्ति पर हमेशा भारी पड़ती है। ये साफ है कि जो लोग विकास की राह में नफरत फैलाना चाहते हैं, अवरोध पैदा करना चाहते हैं वो कभी अपने नापाक इरादों में कामयाब नहीं हो सकते।’’ बैक टू विलेज कार्यक्रम का आयोजन जून में हुआ था। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि यह कार्यक्रम हर तीन महीने में हो।
       
श्री मोदी ने कहा कि यह अपनी तरह का ऐसा पहला कार्यक्रम था जिसमें जनता ने सरकार से सीधा संवाद किया। कश्मीर के लोग विकास की मुख्यधारा से जुड़ने को कितने बेताब हैं, कितने उत्साही हैं यह इस कार्यक्रम से पता चलता है। इस कार्यक्रम में पहली बार बड़े-बड़े अधिकारी सीधे गांवो तक पहुँचे। जिन अधिकारियों को कभी गाँव वालों ने देखा तक नहीं था, वो खुद चलकर उनके दरवाजे तक पहुँचे ताकि विकास के काम में आ रही बाधाओं को समझा जा सके और समस्याओं को दूर किया जा सके।
       
यह कार्यक्रम हफ्ते भर चला और राज्य की सभी लगभग साढ़े चार हजार पंचायतों में सरकारी अधिकारियों ने गाँव वालों को सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी दी। ये भी जाना कि उन तक सरकारी सेवाएँ पहुँचती भी हैं या नहीं। पंचायतों को कैसे और मजबूत बनाया जा सकता है? उनकी आमदनी को कैसे बढ़ाया जा सकता है? उनकी सेवाएँ सामान्य लोगों के जीवन में क्या प्रभाव पैदा कर सकती हैं? गाँव वालों ने भी खुलकर अपनी समस्याओं को बताया। साक्षरता, लिंग अनुपात, स्वास्थ्य, स्वच्छता, जल संरक्षण, बिजली, पानी, बालिकाओं की शिक्षा, वरिष्ठ नागरिकों के प्रश्न, ऐसे कई विषयों पर भी चर्चा हुई।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम कोई सरकारी खानापूर्ति नहीं थी कि अधिकारी दिन भर गाँव में घूमकर वापस लौट आएँ। इस बार अधिकारीयों ने दो दिन और एक रात पंचायत में ही बिताई। इससे उन्हें गाँव में समय व्यतीत करने का मौका मिला। हर किसी से मिलने का प्रयास किया। हर संस्थान तक पहुँचने की कोशिश की। इस कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए कई और चीजों को भी शामिल किया गया। 
        
खेलो इंडिया के तहत बच्चों के लिए खेल प्रतियोगिता कराई गई। वहीं स्पोट्र्स कीट, मनरेगा के जाब कार्ड और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के प्रमाणपत्र भी बांटे गए। वित्तीय साक्षरता कैंप भी लगाए गए। कृषि और बागवानी जैसे सरकारी विभागों की तरफ से स्टाल लगाए गए, और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गई। एक प्रकार से यह आयोजन एक विकास उत्सव बन गया, जनभागीदारी का उत्सव बन गया, जन-जागृति का उत्सव बन गया। कश्मीर के लोग विकास के इस उत्सव में खुलकर के भागीदार बने।
        
श्री मोदी ने कहा कि खुशी की बात ये है कि बैक टू विलेज कार्यक्रम का आयोजन ऐसे दूर-दराज के गाँवों में भी किया गया, जहाँ पहुँचने में सरकारी अधिकारियों  को दुर्गम रास्तों से होकर पहाड़ियों को चढ़ते-चढ़ते कभी-कभी एक से डेढ़ दिन की पैदल या करनी पड़ी। ये अधिकारी उन सीमावर्ती पंचायतों तक भी पहुँचे, जो हमेशा सीमा पार फायरिंग के साए में रहते हैं। यही नहीं शोपियां, पुलवामा, कुलगाम और अनंतनाग जिले के अति संवेदनशील इलाके में भी अधिकारी बिना किसी भय के पहुँचे।


        
कई अफसर तो अपने स्वागत से इतने अभिभूत हुए कि वे दो दिनों से अधिक समय तक गाँवों में रुके रहे। इन इलाकों में ग्राम सभाओं का आयोजन होना, उसमें बड़ी संख्या में लोगों का भाग लेना और अपने लिए योजनाएँ तैयार करना, यह सब बहुत ही सुखद है। नया संकल्प, नया जोश और शानदार नतीजे। ऐसे कार्यक्रम और उसमें लोगों की भागीदारी ये बताती है कि कश्मीर के हमारे भाई-बहन गुड गवर्नेंस चाहते हैं।

वार्ता
नयी दिल्ली


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