कानून नहीं फिर भी गिरफ्तारी..अफसर जाएंगे जेल

Last Updated 08 Jan 2019 02:59:17 AM IST

आईटी एक्ट की धारा 66ए को कानून की किताबों से हटाए जाने के चार साल बाद भी इस धारा में मुकदमे दर्ज होने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया।


कानून नहीं फिर भी गिरफ्तारी..अफसर जाएंगे जेल

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि देश की सर्वोच्च अदालत के निर्णय का उल्लंघन पाया गया तो संबंधित अफसर को जेल की हवा खानी पड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से जवाब तलब किया है।
 जस्टिस रोहिंगटन फली नरीमन और विनीत सरन की बेंच ने गिरफ्तारी का दावा करने वाली जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को नोटिस जारी किया। सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी (पीयूसीएल) ने जो आरोप लगाए हैं, यदि वह सही हैं तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

याचिकाकर्ता ने उन लोगों की सूची दी है, जिन पर मुकदमा चलाया गया है। अदालत ने कहा कि हम उन सभी अधिकारियों को जेल भेज देंगे, जिन्होंने गिरफ्तारी का आदेश दिया था। हम सख्त कदम उठाने वाले हैं। बेंच ने कहा कि अगर इस धारा को समाप्त करने के उसके आदेश का उल्लंघन किया गया तो संबंधित अधिकारियों को गिरफ्तार किया जाएगा।

याचिकाकर्ता ने अदालत में दायर की गई याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा आईटी कानून की धारा 66ए समाप्त करने के बाद 22 से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमे दायर किए गए हैं। आईटी एक्ट की धारा 66ए को सुप्रीम कोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ कहा था। इस धारा के तहत कम्प्यूटर या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अपमानजनक भाषा के प्रयोग पर गिरफ्तारी का प्रावधान था। इस कानून का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग होने पर सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2015 में इसे असंवैधानिक घोषित किया था।

श्रेया सिंघल बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) में प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी है। यह धारा इस आजादी पर पाबंदी लगाती है।

इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन नाम की संस्था ने पिछले साल अक्टूबर में एक अध्ययन रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के बावजूद धारा 66ए के तहत मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि संस्थागत कमियों के कारण देश में सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट धरातल पर लागू नहीं किए जाते। पुलिस थानों से लेकर अदालतों तक धारा 66ए के इस्तेमाल किया जा रहा है।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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