वियतनाम से ऊर्जा, कृषि, पोत परिवहन पर होगी बात
वियतनाम के राष्ट्रपति त्रान दाई क्वांग तीन दिन की यात्रा पर दो मार्च को भारत पहुंच रहे हैं. उनकी इस यात्रा के दौरान मुख्य एजेंडा दोनों देशों के बीच रक्षा और व्यापारिक संबंधों को और मजबूती प्रदान करना होगा.
![]() वियतनाम के राष्ट्रपति त्रान दाई क्वांग (file photo) |
विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, राष्ट्रपति क्वांग की यात्रा के दौरान भारत और वियतनाम के समग्र सामरिक संबंधों को और गहरा बनाने तथा द्विपक्षीय संबंधों के विविध आयामों पर चर्चा होगी. राष्ट्रपति क्वांग के साथ एक प्रतिनिधिमंडल भी आ रहा है जिसमें वहां के उप प्रधानमंत्री और विदेशमंत्री फाम बिन मिन्ह के अलावा कई मंत्री भी शामिल होंगे. इनके साथ एक कारोबारी शिष्टमंडल भी आ रहा है. दोनों देशों के बीच ऊर्जा, कृषि, पोत परिवहन सहित अनेक क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत बनाने पर चर्चा होने की संभावना है.
वियतनाम के राष्ट्रपति अपनी भारत यात्रा के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोंिवद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ चर्चा करेंगे. क्वांग यहां लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और विदेशमंत्री सुषमा स्वराज से भी मुलाकात करेंगे. राष्ट्रपति क्वांग भारत के प्रमुख कारोबारियों के साथ भी चर्चा करेंगे. भारत पहुंचने के बाद क्वांग सबसे पहले 2 मार्च को बिहार के बोधगया स्थित बौद्ध धर्म स्थल का दौरा करेंगे और अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे. चार मार्च को वियतनाम के राष्ट्रपति नीतियों से जुड़े विषयों पर अपना संबोधन देंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में वियतनाम का दौरा किया था और तब दोनों देशों ने अपनी रणनीतिक भागीदारी को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में तब्दील करने पर सहमति जताई थी.
इससे पहले भारत में वियतनाम के राजदूत तोन सिन्ह थान्ह ने बताया, 2 मार्च से शुरू हो रही इस यात्रा में दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर भी बातचीत की जाएगी जहां चीन लगातार अपना दखल बढ़ा रहा है. चीन की वन बेल्ट वन रोड पहल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, वियतनाम इस परियोजना का अध्ययन कर रहा है और इस पर नजर रख रहा है. उन्होने कहा, वियतनाम भारत के साथ अपनी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को आर्थिक क्षेत्र के साथ साथ शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा संस्कृति के क्षेत्रों में भी विस्तार देना चाहता है. उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ आधिकारिक वार्ता के बाद परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग की तकनीक साझा करने के बारे में समझौते पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं. उन्होंने कहा, दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ाने पर विचार किया जाएगा.
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