गरीबों के प्रति करुणा बरतें : सुप्रीम कोर्ट
नाइट शेल्टर पर सरकार की बेरुखी पर ताज्जुब जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद कल्याणकारी योजनाओं को कारगर तरीके से लागू नहीं किया जाता है तो ऐसी योजनाओं को बंद ही क्यों न कर दिया जाए.
सुप्रीम कोर्ट |
आखिर करदाता के पैसे की बर्बादी क्यों हो. जस्टिस मदन लोकुर और दीपक गुप्ता की बेंच ने शहरी बेघरों से संबंधित मुद्दे पर सुनवाई के दौरान केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसीटर जनरल आत्माराम नाडकर्णी से कहा कि आप इस योजना को खत्म क्यों नहीं कर देते.
अदालत इस मामले में अब दो सप्ताह बाद सुनवाई करेगी. अदालत ने कहा कि केन्द्र हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रहा है जिसका इस्तेमाल भारत सरकार दूसरे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए कर सकती है. यह तो करदाताओं के धन की बर्बादी है. यह स्तब्ध करने वाला है.
अदालत ने शहरी बेघरों के प्रति केन्द्र और राज्य सरकारों के उपेक्षित रवैए के लिए उन्हें आड़े हाथ लिया और कहा कि उनके प्रति कुछ तो करुणा दिखाएं.
अदालत ने शहरी बेघरों के लिए योजना के तहत उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पश्चिम बंगाल राज्य सरकारों को आबंटित धनराशि के खर्च का पूरा विवरण नहीं देने के लिए उन्हें आड़े हाथ लिया. अदालत ने इसे निराशाजक और दुखदायी बताते हुए कहा कि राज्यों को बेघरों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए लेकिन ऐसा लगता है कि वह चिंतित नहीं है.
अदालत ने कहा कि केन्द्र यह नहीं कह सकता कि उसने राज्यों को धन मुहैया करा दिया है और इसके साथ ही उसका काम खत्म हो गया और राज्य इस बात की परवाह नहीं करेंगे कि क्या धन बर्बाद हो रहा है या इसे किस तरह खर्च किया जा रहा है.
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