आधार की अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल
आयकर अधिनियम में संशोधन करके पैन कार्ड के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाए जाने के केंद्र सरकार की पहल को सुप्रीम कोर्ट ने आड़े हाथों लिया.
सुप्रीम कोर्ट |
अटार्नी जनरल की तमाम दलीलों से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नजर नहीं आया. सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा कि जब देश की सबसे बड़ी अदालत आधार को अनिवार्य नहीं करने पर अपना मंतव्य व्यक्त कर चुकी है तो सरकार इसे अनिवार्य बनाने पर क्यों आमादा है. इसे वैकल्पिक ही रहने दिया जाना चाहिए.
केंद्र सरकार ने अपने कदम को जायज ठहराने का प्रयास करते हुए कहा कि छद्म कंपनियों को धन देने के लिए फर्जी पैन कार्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है. अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने जस्टिस अर्जन कुमार सीकरी और अशोक भूषण की बेंच के समक्ष ये दलीलें उस वक्त दीं जब अदालत ने सवाल किया कि पैन कार्ड के आवेदन के लिए आधार को अनिवार्य क्यों किया गया जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि इसे वैकल्पिक बनाया जाना चाहिए.
अदालत के इस सवाल पर रोहतगी ने कहा कि सरकार को ऐसे मामलों का पता चला है जिसमे फर्जी राशन कार्ड और दूसरे दस्तोवजों के सहारे अनेक फर्जी पैन कार्ड प्राप्त किए गए और इनका इस्तेमाल छद्म कंपनियों को धन मुहैया कराने के लिए हो रहा था. उन्होंने कहा कि ऐसे उदाहरण है जिसमें एक व्यक्ति के पास कई पैन कार्ड होने का पता चला और इस स्थिति पर काबू पाने के लिए ही पैन कार्ड के लिए आवेदन में आधार को अनिवार्य करने का निर्णय किया गया. रोहतगी ने कहा कि अब कानून में इसका प्रावधान है.
आयकर कानून की धारा 139एए ऐसा कहती है. इस पर अदालत ने कहा कि क्या यही उपाय है कि पैन के लिए आपके पास आधार होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद इसे अनिवार्य क्यों बनाया गया. इस मामले में 25 अप्रैल को सुनवाई की जाएगी.
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