पाकिस्तान चीन की कीमत पर नहीं बनाएगा अमेरिका के साथ घनिष्ठ संबंध
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चीन के सदाबहार सहयोगी पाकिस्तान के साथ अपने देश के संबंधों को मजबूत करने पर चीनी रणनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान, चीन के वैश्विक प्रभाव को नियंत्रित करने की ट्रंप की रणनीति की सीमाओं को समझता है।
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पिछले महीने, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने ‘फील्ड मार्शल’ का पदभार ग्रहण करने के बाद चीन की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा की।
उनकी यह यात्रा वाशिंगटन की पांच दिवसीय यात्रा के तुरंत बाद हुई, जहां उन्होंने ट्रंप के साथ एक निजी भोज में भाग लिया था। उस बैठक का समापन ट्रंप द्वारा तेल सौदे सहित विभिन्न क्षेत्रों में अमेरिका-पाकिस्तान सहयोग बढ़ाने की घोषणा के साथ हुआ।
‘इकोनॉमिस्ट’ के एक हालिया लेख के अनुसार, जनरल मुनीर की अमेरिका यात्रा अमेरिकी विदेश नीति में एक बदलाव का प्रतीक है जिसके न केवल भारत, बल्कि चीन और पश्चिम एशिया पर भी प्रभाव पड़ेंगे।
बीजिंग में अपने प्रवास के दौरान जनरल मुनीर ने उपराष्ट्रपति हान झेंग, विदेश मंत्री वांग यी और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात की। हालांकि, राष्ट्रपति शी चिनफिंग से उनकी मुलाकात नहीं हुई। यह उनके पूर्ववर्ती जनरल कमर जावेद बाजवा से बिल्कुल अलग है, जिन्होंने 2018 में अपनी चीन यात्रा के दौरान शी चिनफिंग से मुलाकात की थी।
मुनीर की बैठकों के आधिकारिक बयानों में कूटनीतिक शिष्टाचार पर जोर दिया गया और मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की पुष्टि की गई। हालांकि, ट्रंप-मुनीर के संबंधों के बारे में चीन की धारणा अब भी अस्पष्ट है, खासकर जब ट्रंप चीन के एक वैश्विक शक्ति के रूप में उदय को रोकने के लिए अपनी स्पष्ट रणनीति पर अड़े हैं।
पाकिस्तान के साथ सदाबहार संबंधों को बढ़ावा देने में दशकों से किए गए निवेश को देखते हुए चीन की अपनी चिंताएं हैं।
चीन के दो वरिष्ठ रणनीतिक विशेषज्ञों ने पहली बार ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में ट्रंप की भू-राजनीतिक रणनीति के व्यापक संदर्भ में उभरते नए अमेरिका-पाकिस्तान रणनीतिक परिप्रेक्ष्य पर चीन के दृष्टिकोण को रेखांकित किया।
‘चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेंपररी इंटरनेशनल रिलेशंस’ में दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान के निदेशक हू शीशेंग ने कहा, ‘‘पाकिस्तान, चीन के साथ अपने संबंधों की कीमत पर अमेरिका के साथ अपने संबंध विकसित नहीं करेगा।’’
दक्षिण एशियाई राजनीति के विशेषज्ञ माने जाने वाले हू ने कहा, ‘‘पाकिस्तान, ट्रंप के बहकावे में इतनी आसानी से नहीं आएगा।’’
‘हुआक्सिया साउथ एशिया इकोनॉमिक एंड कल्चरल एक्सचेंज सेंटर ऑफ चाइना’ में शोधार्थी जेसी वांग ने कहा, ‘‘देखा जाए तो, पाकिस्तान को ट्रंप का यह प्रलोभन चीन के लिए परेशानी का सबब लग सकता है लेकिन वास्तव में यह चीन-पाकिस्तान संबंधों की संरचनात्मक स्थिरता को प्रभावित नहीं कर सकता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी हस्तक्षेप ने अल्पकालिक भू-राजनीतिक हलचल पैदा की है, लेकिन इससे चीन-पाकिस्तान निर्भरता की नींव हिलने की संभावना नहीं है।’’
वांग ने कहा, ‘‘पाकिस्तान के लिए आर्थिक रूप से ‘दोनों तरफ से मुनाफा कमाना’ एक तर्कसंगत विकल्प है, लेकिन उसकी सुरक्षा और बुनियादी ढांचे की जीवनरेखाएं चीन से गहराई से जुड़ी हैं और रणनीतिक संतुलन में कोई बदलाव नहीं आया है।’’
दोनों ने तर्क दिया कि चीन-पाकिस्तान संबंध संरचनात्मक रूप से इतने गहरे हैं कि पाकिस्तान के लिए उनसे अलग होकर इसी तरह का दूसरा संबंध बना पाना मुश्किल होगा।
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