नेपाल में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न, PM देउबा ने सभी का शुक्रिया अदा किया
नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने संसदीय तथा प्रांतीय चुनाव के शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष तरीके से संपन्न होने के बाद नेपाल के लोगों का शुक्रिया अदा किया।
![]() नेपाल पीएम देउबा (फाइल फोटो) |
निर्वाचन आयोग के अनुसार, नेपाल में रविवार को नयी संसद और प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों के चुनाव में करीब 61 प्रतिशत मतदान हुआ।
हालांकि चुनाव संबंधी घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई।
देउबा ने एक बयान में स्वीकार किया कि नेपाल के सभी लोग लोकतंत्र को मजबूत करने और संविधान की रक्षा करने को लेकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि चुनाव में मताधिकार का इस्तेमाल कर लोगों ने एक बार फिर लोकतंत्र के प्रति उनके विश्वास एवं समर्पण को व्यक्त किया है।
‘हिमालयन टाइम्स’ की खबर के अनुसार, सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष देउबा ने शांतिपूर्ण, निष्पक्ष तथा उत्साहजनक तरीके से संसदीय और प्रांतीय चुनावों को संपन्न कराने के लिए लोगों का शुक्रिया अदा किया।
अधिकारियों ने बताया कि बजौरा के त्रिबेनी नगर पालिका के नटेश्वरी विद्यालय में बने मतदान केंद्र पर एक व्यक्ति की मौत हो गई। वहीं चुनाव संबंधी हिंसा के करण चार जिलों सुर्खेत, गुल्मी, नवलपरासी (पूर्व) और बाजुरा में 15 मतदान केंद्रों पर चुनाव स्थगित किया गया।
देउबा ने समय-समय पर चुनाव कराए जाने की अनिवार्यता पर जोर देते हुए उम्मीद जतायी कि चुनाव के परिणाम देश को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने के साथ-साथ लोकतांत्रिक संस्कृति पर आधारित एक समान समाज के निर्माण में मदद करेंगे।
उन्होंने निर्वाचन आयोग, चुनाव के लिए तैनात कर्मचारियों तथा सुरक्षा बलों, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय चुनाव पर्यवेक्षकों, राजनीतिक दलों और पत्रकारों का भी उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया।
नेपाल में संघीय संसद की 275 सीटों और सात प्रांतीय विधानसभाओं की 550 सीट के लिए चुनाव हुए। इसमें एक करोड़ 79 लाख से अधिक लोगों के पास मताधिकार था।
संघीय संसद के कुल 275 सदस्यों में से 165 का चयन प्रत्यक्ष मतदान के जरिए होगा, जबकि बाकी 110 को ‘आनुपातिक चुनाव प्रणाली’ के माध्यम से चुना जाएगा। इसी तरह, प्रांतीय विधानसभाओं के कुल 550 सदस्यों में से 330 का चयन प्रत्यक्ष, जबकि 220 का चयन आनुपातिक प्रणाली से होगा।
चुनाव के परिणाम आने वाले कुछ दिनों में पता चल पाएंगे, क्योंकि मतों की गिनती में मशीनों का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।
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