जलवायु परिवर्तन, गरीबी उन्मूलन क्षेत्र में भारत अग्रणी : महासभा
संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष मारिया फर्नेंडा एस्पिनोसा ने बहुपक्षीय व्यवस्था में भारत के एक अहम भागीदार होने को लेकर उसकी सराहना करते हुए कहा है कि वह जलवायु परिवर्तन पर कार्य और गरीबी उन्मूलन के क्षेत्रों में एक अग्रणी देश है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष मारिया फर्नेंडा एस्पिनोसा (file photo) |
मारिया ने इस बात का जिक्र किया कि भारत की विशाल आबादी को देखते हुए इसके द्वारा किए गए कार्यों और जलवायु परिवर्तन तथा गरीबी उन्मूलन जैसे मुद्दों पर सफलता अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, बहुपक्षीय व्यवस्था में भारत एक अहम भागीदार देश है। यह इस व्यवस्था का एक बहुत मजबूत और विसनीय साझेदार है। इस बात को स्वीकार किया जाना चाहिए। बहुपक्षीय व्यवस्था में भारत की रचनात्मक भूमिका की सराहना करते हुए मारिया ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को बढाने और बहुपक्षीय प्रणाली को मजबूत करने में यह देश एक बहुत अच्छा सहयोगी है। उन्होंने कहा, इसके लिए मैं भारत की सराहना करती हूं। जलवायु के एजेंडा पर भारत एक अग्रणी देश है। नवीकरणीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा को बढावा देने, गरीबी उन्मूलन का एजेंडा और सतत विकास लक्ष्यों के प्रति इसकी मजबूत प्रतिबद्धता है। संरा महासभा के 73वें सत्र की अध्यक्ष मारिया ने कहा कि जब कभी हम आतंकवाद निरोध की बात करते हैं तो उसमें भारत को एक अहम भूमिका निभानी होती है। वह बहुत महत्वपूर्ण और मुख्य साझेदार देश है।
उन्होंने कहा, वह नये साल में, मानवाधिकार आधारित रूख के संदर्भ में, हमारे एजेंडा से जुड़ी हर चीज के संदर्भ में, भारत के साथ काम करने को लेकर बहुत ही आशावादी हैं। पिछले साल सितंबर में महासभा अध्यक्ष का प्रभार संभालने से पहले मारिया ने भारत का दौरा किया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की थी। मारिया ने अपने भारत दौरे को याद करते हुए कहा कि यह देख कर वह अभिभूत हो गई थी कि देश में जमीनी स्तर पर सतत विकास लक्ष्यों को किस तरह से क्रियान्वित किया जा रहा है।
पिछले साल उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया था कि सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भारत की सफलता दुनिया की तस्वीर बदल सकती है। मारिया ने कहा, बढ़ती एकपक्षीयता और बढते राष्ट्रवाद के युग में बहुपक्षवाद बहुत महत्वपूर्ण, प्रासंगिक और आवश्यक है, खासतौर पर आज के समय में। उन्होंने जोर देते हुए कहा, राष्ट्रों को अपने राष्ट्रीय हितों पर गौर करने के साथ - साथ बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था में भी योगदान देना होगा।
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