सेंसेक्स, निफ्टी में शुरुआती कारोबार में गिरावट

Last Updated 05 Aug 2025 11:37:52 AM IST

विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी के बीच सेंसेक्स और निफ्टी में मंगलवार को शुरुआती कारोबार में गिरावट दर्ज की गई।


विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि अमेरिका के रूसी तेल खरीदना जारी रखने पर भारत पर उच्च शुल्क लगाने की धमकी देने से भी निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है।

बीएसई सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 315.03 अंक या 0.39 प्रतिशत की गिरावट के साथ 80,703.69 अंक पर और एनएसई निफ्टी 41.80 अंक या 0.17 प्रतिशत की फिसलकर 24,680.95 अंक पर आ गयां

सेंसेक्स में शामिल 30 कंपनियों में से बीईएल, एचडीएफसी बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईसीआईसीआई बैंक, इन्फोसिस, हिंदुस्तान यूनिलीवर, अदाणी पोर्ट्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एशियन पेंट्स और टाटा स्टील के शेयर सबसे अधिक गिरावट में रहे।

मारुति, भारतीय स्टेट बैंक, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, एक्सिस बैंक, अल्ट्राटेक सीमेंट, टाटा मोटर्स, टाइटन, एनटीपीसी और बजाज फाइनेंस के शेयर लाभ में रहे।

एशियाई बाजारों में हांगकांग का हैंगसेंग, चीन का शंघाई एसएसई कम्पोजिट, दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और जापान का निक्की 225 फायदे में रहे।

अमेरिकी बाजार सोमवार को सकारात्मक रुख के साथ बंद हुए थे।

अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.33 प्रतिशत फिसलकर 68.53 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।

शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) सोमवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 2,566.51 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 4,386.29 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।    गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर अमेरिकी शुल्क में बढ़ोतरी करने जा रहे हैं। ट्रंप ने भारत पर भारी मात्रा में रूस से तेल खरीदने और उसे बड़े मुनाफे पर बेचने का आरोप लगाया।

भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद के लिए उसे ‘‘अनुचित और अविवेकपूर्ण’’ तरीके से निशाना बनाने को लेकर सोमवार को अमेरिका और यूरोपीय संघ पर जोरदार पलटवार किया।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद रूस से तेल आयात करने के कारण भारत को अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा निशाना बनाया गया है। भारत ने रूस से आयात करना इसलिए शुरू किया क्योंकि संघर्ष शुरू होने के बाद पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी।

बयान में कहा गया, ‘‘ उस समय अमेरिका ने वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिरता को मजबूत करने के लिए भारत द्वारा इस तरह के आयात को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया था।’’
 

भाषा
मुंबई


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