मोदी से अतिवादी हिंदुत्व पर लगाम लगाने की मांग
अमेरिका में धार्मिक स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं और कई अन्य समूहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हिंदुत्ववादी चरमपंथ के उभार को रोकने और देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में शामिल समूहों को दंडित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया है।
ब्यूनर्स आयर्स में जी-20 सम्मेलन से इतर फ्रांस के राष्ट्रपति के इमैनुअल मैक्रॉन से बात करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। |
यह अनुरोध गुरुवार को यहां भारतीय-अमेरिकी मुस्लिम परिषद द्वारा आयोजित ‘भारत में धार्मिक स्वतंत्रता: कैपिटल हिल पर ब्रीफिंग’ नामक एक कार्यक्रम के दौरान किया गया। इसमें कार्यकर्ताओं, संसद कर्मियों, विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने भाग लिया। इसके अलावा इसमें अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) और नागरिक समाज के लोगों ने भाग लिया।
आयोजन में आयोग की पूर्व अध्यक्ष कैटरीना लान्टोस स्वेट ने कहा, ‘अपनी पार्टी के चरम तत्वों की निंदा करने और उनसे अपनी दूरी बनाने में प्रधानमंत्री मोदी की विफलता ने आज की स्थिति में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।’ भारत का कहना है कि उसका संविधान धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार सहित अपने सभी नागरिकों को मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है और यूएससीआईआरएफ के पास भारतीय नागरिकों के संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकारों पर टिप्पणी करने का कोई आधार नहीं है। कांग्रेस के मानवाधिकार शाखा की संस्थापक और होलोकास्ट के एकमात्र जीवित बचे टॉम लैंटोस की पुत्री स्वेट ने कहा कि मुस्लिम और ईसाई प्राथमिक रूप से पीड़ित हैं। स्वेट ने आरोप लगाया, ‘ उकसाने वाली आडंबर भरी बातें और तेजी से उभर रही धर्म आधारित भारत की राष्ट्रीय पहचान की अवधारणा ने गैर-हिंदुओं को डराने, धमकाने और यहां तक कि हिंसा का माहौल बनाने में योगदान दिया है।’
इंटरनेशनल क्रिश्चियन कंसर्न के अध्यक्ष जेफ किंग ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री आक्रामकता एवं हिंसा के कृत्यों की निंदा करें और अभियोजन पक्ष पर दबाव डालें, तो यह (हिंसा) काफी जल्दी खत्म हो जाएगी, लेकिन यह नहीं हो रहा है। उन्होंने मोदी से आग्रह किया कि वे आक्रामकता और हिंसा के कृत्यों की निंदा करें और यूएससीआईआरएफ की एक टीम को एक तथ्य-खोज मिशन पर भारत आने की अनुमति दें। फिलाडेल्फिया के एक दलित ईसाई लूथरन चर्च पुजारी रेवरेंड सारा सी एंडरसन-राजारीगम ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के शासनकाल में दलितों की स्थिति खराब हो गई है।
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