श्रीलंका सियासी संकट : संसद भंग करने के राष्ट्रपति सिरिसेना के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलटा

Last Updated 14 Nov 2018 05:18:46 AM IST

श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना को एक बड़ा झटका देते हुए संसद भंग करने के उनके विवादित फैसले को मंगलवार को पलट दिया और पांच जनवरी को प्रस्तावित मध्यावधि चुनाव की तैयारियों पर विराम लगाने का आदेश दिया।


राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना (file photo)

प्रधान न्यायाधीश नलिन पेरेरा की अध्यक्षता में तीन सदस्यों वाली एक पीठ ने संसद भंग करने के सिरिसेना के नौ नवम्बर के फैसले के खिलाफ दायर तकरीबन 13 और पक्ष में दायर पांच याचिाकाओं पर दो दिन की अदालती कार्यवाही के बाद यह व्यवस्था दी।

कार्यकाल पूरा होने के तकरीबन दो साल पहले ही संसद भंग कर दी गई। सिरिसेना के सामने जब स्पष्ट हो गया कि रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर प्रधानमंत्री बनाए गए म¨हदा राजपक्षे के पक्ष में संसद में बहुमत नहीं है तो उन्होंने संसद भंग कर दी और पांच जनवरी को मध्यावधि चुनाव करने के आदेश जारी किए थे। इससे देश अभूतपूर्व संकट में फंस गया।

कड़ी सुरक्षा के बीच सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में उपस्थित विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने बताया कि शीर्ष अदालत ने व्यवस्था दी है कि सिरिसेना के फैसले से जुड़ी सभी याचिकाओं पर अब चार, पांच और छह दिसम्बर को सुनवाई होगी। प्रमुख राजनीतिक पार्टियां सिरिसेना के फैसले के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंची। याचिकाकर्ताओं स्वतंत्र चुनाव आयोग के एक सदस्य रत्नाजीवन हुले भी शामिल हैं।

मंगलवार को सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश अटार्नी जनरल जयंता जयसूर्या ने सिरिसेना के कदम को उचित ठहराया और कहा कि राष्ट्रपति की शक्तियां साफ और सुस्पष्ट हैं और उन्होंने संविधान के प्रावधानों के अनुरूप संसद भंग की है। जयसूर्या ने सभी याचिकाएं रद्द करने का आग्रह किया और कहा कि राष्ट्रपति के पास संसद भंग करने की शक्तियां हैं।

भाषा


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