श्रीलंका सियासी संकट : सिरिसेना के खिलाफ ढेरों याचिकाएं

Last Updated 13 Nov 2018 06:58:29 AM IST

श्रीलंका की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों और चुनाव आयोग के एक सदस्य ने सोमवार को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना को सुप्रीम कोर्ट में घसीटते हुए संसद भंग करने के उनके विवादित फैसले को चुनौती दी।


श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना (file photo)

सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी।
सिरिसेना ने संसद का कार्यकाल समाप्त होने से करीब 20 माह पहले उसे भंग करने का फैसला किया। उन्होंने नौ नवम्बर को संसद भंग करते हुए अगले साल पांच जनवरी को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की। यह फैसला उन्होंने यह स्पष्ट होने के बाद किया कि 72 वर्षीय म¨हदा राजपक्षे के पास प्रधानमंत्री पद पर बने रहने के लिए सदन में पर्याप्त संख्या बल नहीं है। सिरिसेना ने 26 अक्टूबर को रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त करते हुए उनकी जगह राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था। राजपक्षे को 225 सदस्यों वाले सदन में अपना बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 113 सांसदों के समर्थन की जरूरत थी। अधिकारियों ने बताया, अपदस्थ प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी), मुख्य विपक्षी पार्टी तमिल नेशनल अलायंस (टीएनए) और वामपंथी जेवीपी उन 10 समूहों में शामिल हैं जिन्होंने शीर्ष अदालत में याचिकाएं दायर कर संसद भंग करने के राष्ट्रपति के कदम को अवैध ठहराने की मांग की है। याचिकाकर्ताओं में चुनाव आयोग के सदस्य प्रोफेसर रत्नाजीवन हूले भी शामिल हैं। ‘डेली मिरर’ की एक रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई मंगलवार तक स्थगित कर दी। यह याचिकाएं प्रधान न्यायाधीश नलिन पेरेरा, न्यायमूर्ति प्रसन्ना जयवर्धने और न्यायमूर्ति प्रियंथा जयवर्धने की पीठ के समक्ष पेश की गई हैं।

सिरिसेना ने संसद भंग करने के अपने विवादित फैसले का रविवार को पुरजोर बचाव करते हुए कहा कि प्रतिद्वंद्वी सांसदों के बीच झड़पों से बचने के लिए यह फैसला लिया गया। उन्होंने कहा, मीडिया में कुछ खबरें आईं थी कि 14 नवम्बर को शक्ति परीक्षण के दौरान नेताओं के बीच झड़पें होंगी। गैरसरकारी संगठन ‘सेंटर फॉर पॉलिसी ऑल्टरनेटिव्ज’ (सीपीए) ने भी राष्ट्रपति के कदम को चुनौती देने के लिए एक याचिका दायर की है। इसने एक बयान मे कहा, सीपीए बेशक इस कदम का विरोध करती है क्योंकि यह असंवैधानिक एवं अधिकार क्षेत्र से बाहर है। ‘श्रीलंका मुस्लिम कांग्रेस’ के नेता रऊफ हकीम ने भी याचिका दायर की है। उन्होंने कहा, संविधान के 19वें संशोधन के मुताबिक संसद भंग करने का अधिकार नहीं है और इस संबंध में आज उच्चतम न्यायालय में वाद दायर किया गया।    संसद भंग करने के खिलाफ कई राजनीतिक दल अदालत पहुंचे।

भाषा


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