अजहर पर चीन के रुख से भारत-चीन संबंधों को नुकसान
पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकी सूची में शामिल करने की कोशिश को बार-बार बाधित करने के चीन के कदमों से आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाने की जरूरत के बारे में उसके बयान की गंभीरता कम होती है.
![]() पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर (file photo) |
इससे भारत के साथ उसके संबंधों को नुकसान पहुंच रहा है. शीर्ष अमेरिकी विशेषज्ञों ने मंगलवार को यह बात कही.
चीन ने गत सप्ताह संयुक्त राष्ट्र में अजहर को वैश्विक आतंकवादी की सूची में डालने की अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन की कोशिश को चौथी बार बाधित किया था. इसके लिए उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों के बीच आम राय न होने का हवाला दिया था. हेरिटेज फाउंडेशन के जेफ स्मिथ ने कहा, मुझे लगता है कि यह चीन की तरफ से उठाया गया दुर्भाग्यपूर्ण कदम है और मैं संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के जाने पहचाने आतंकियों पर प्रतिबंधों को लगातार बाधित करने के लिए दिए गए तर्क पर सवाल करता हूं.
स्मिथ ने कहा, चीन अपने इस कदम को स्पष्ट तौर पर अपने सदाबहार दोस्त पाकिस्तान को लाभ पहुंचाने के तौर पर देख रहा है. उन्होंने कहा, लेकिन इस नीति से चीन के अपने कूटनीतिक हितों और बताई गई विदेश नीति के उद्देश्यों की गंभीरता में तेजी कमी आ रही है. स्मिथ ने कहा, इससे आतंकवाद और खासतौर से अफगानिस्तान में कड़ा रूख अपनाने की जरूरत के बारे में चीन की बात की गंभीरता में कमी आती है. उन्होंने कहा, चीन के कदम पहले से ही तनावपूर्ण चीन-भारत संबंधों को गंभीर नुकसान भी पहुंचा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्य अमेरिका ने कहा कि किसी व्यक्ति या संस्था को 1267 प्रतिबंध सूची में शामिल करने पर समिति की चर्चा गोपनीय है.
न्यूयार्क में अमेरिकी मिशन के प्रवक्ता ने कहा, बहरहाल, हम जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक और नेता अजहर को 1267 प्रतिबंधों की सूची में शामिल करने की कोशिशों का समर्थन करेंगे और दूसरे सदस्यों को भी इसका समर्थन करने के लिए प्रेरित करेंगे. अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के रिक रॉसोव ने कहा, चीन का हालिया कदम चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत के भारत के विास की पुष्टि करता है.
रॉसोव ने कहा, इस फैसले का समर्थन करके चीन, भारत के साथ अपने संबंधों को फिर से बनाने की ओर महत्वपूर्ण कदम उठा सकता था लेकिन उसने अलग रास्ता चुना. उन्होंने कहा, इसका समय महत्वपूर्ण है, यह ऐसे समय पर उठाया गया कदम है जब अमेरिका ने आतंकवाद का समर्थन करने को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया हुआ है.
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