तन और मन अलग-अलग खुश नहीं हो सकते, न अलग-अलग दुखी हो सकते हैं। दोनों एक ही अस्तित्व के दो आयाम हैं, जिन्हें एक साथ संभाला और संवारा जाना जरूरी है। ....
कई बार, जैसे ही लोग अपनी धन-संपत्ति खो बैठते हैं, वे सोचते हैं कि उनका जीवन समाप्त हो गया है, और वे स्वयं तक को मार डालने के लिए तैयार हो जाते हैं, है कि नहीं? ....
किसी व्यक्ति को, अपनी मान्यताओं द्वारा बनाई गई मानसिकता के परे जा कर देखने और यह स्वीकार करने के लिए कि जीवन के मूल पहलुओं के बारे में भी वह कुछ नहीं जानता, अत्यधिक साहस की आवश्यकता होती है। ....
सारी दुनिया में बहुत सारे लोग ‘सकारात्मक सोच’ के बारे में बात करते हैं। जब आप सकारात्मक सोच की बात कर रहे हैं तो एक अर्थ में आप वास्तविकता से दूर भाग रहे हैं। ....
हम जो भी करते हैं, वह मन का पोषण है। मन को हम बढ़ाते हैं, मजबूत करते हैं। हमारे अनुभव, हमारा ज्ञान, हमारा संग्रह, सब हमारे मन को मजबूत और शक्तिशाली करने के लिए है। ....
बुद्धिमत्ता बस जीवित रहने का साधन है। जीवित रहना आवश्यक है, पर पूर्ण संतोष देने वाला नहीं। यदि आप जीवन के ज्यादा गहरे आयामों में जाना चाहते हैं तो पहले आप को आवश्यक साधनों की जरूरत होगी। ....