Narak Chaturdashi 2021: नरक चतुर्दशी से जुड़ी ये पौराणिक कथाएं और मान्यताएं
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस साल नरक चतुर्दशी 3 नवंबर को मनाई जाएगी।
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माना जाता है कि दैत्य राज नरकासुर ने देवराज इंद्र को पराजित कर सुरलोक की शासक मातृ देवी अदिति के कानों के कुंडल छीन लिए थे। अदिति भगवान कृष्ण की पत्नी सत्यभामा की रिश्तेदार थीं। नरकासुर के अत्याचार की खबर सुन कर सत्यभामा नाराज हो गईं और भगवान कृष्ण से नरकासुर को सजा देने के लिए कहा। नरकासुर को श्राप मिला था कि उसकी मृत्यु महिला के हाथों होगी। कृष्ण ने तब सत्यभामा को यह बात बताई और युद्ध के मैदान में सत्यभामा के रथ के सारथी बने। नरकासुर का वध सत्यभामा ने किया और अदिति के कुंडल उन्हें वापस दिए।’’
‘नरकासुर के वध के बाद कृष्ण ने उसके रक्त से तिलक किया और सुबह-सुबह अपने महल वापस पहुंचे। उस दिन नरक चतुर्दशी थी। कृष्ण ने सुगंधित तेल लगाया और स्नान किया। कहा जाता है कि तब से ही इस दिन सुबह तेल लगा कर स्नान करने की परंपरा है।
पौराणिक गाथा के अनुसार, नरकासुर ने देवराज इंद्र को परास्त करने के बाद जिन 16 हजार देव कन्याओं को कारागार में डाल दिया था, उन्हें कृष्ण ने दैत्य राज के वध के बाद रिहा किया और उनसे विवाह किया। ये 16 हजार देव कन्याएं उनकी रानियां बनीं। इसीलिए इस दिन को रूप चौदस भी कहा जाता है और महिलाएं इस दिन विशेष श्रृंगार करती हैं।
दक्षिण भारत में इस दिन को बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए शुभ माना जाता है। वहां इस दिन सुबह स्नान के बाद तेल में कुमकुम मिला कर लगाया जाता है और करेले को हाथ के प्रहार से तोड़ कर उसका रस माथे पर लगाया जाता है। करेले को नरकासुर के सिर का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद तेल और चंदन लगा कर फिर स्नान किया जाता है।
आम तौर पर इस दिन महिलाएं सुबह उठ कर घर की साफ सफाई करती हैं और घर के बाहर रंगोली सजाती हैं। महाराष्ट्र में इस दिन चने के आटे और चंदन का उबटन लगा कर स्नान करने की परंपरा है।
आंध्रप्रदेश में इस दिन सुबह पानी में तिल के कुछ दाने डाल कर स्नान करने की परंपरा है।
नरक चतुर्दशी के दिन महाकाली और भगवान यमराज की पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से यमराज नरक में नहीं भेजते। कई घरों में इस दिन एक विशेष दिया यमराज के लिए जलाया जाता है और दरवाजे के सामने रखा जाता है।
कई घरों में रात को घर का सबसे बुजुर्ग सदस्य एक दिया जला कर पूरे घर में घुमाता है और फिर उसे ले कर घर से बाहर कहीं दूर रख कर आता है। घर के अन्य सदस्य अंदर रहते हैं और इस दिये को नहीं देखते। यह दीया यम का दीया कहलाता है और माना जाता है कि पूरे घर में इसे घुमा कर बाहर ले जाने से सभी बुराइयां और कथित बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती हैं।
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