धन

Last Updated 02 Nov 2021 03:49:12 AM IST

दुनिया में धन खूब बढ़े। इतना बढ़े कि देवता तरसें पृथ्वी पर जन्म लेने को..लेकिन धन ही सब कुछ नहीं है। कुछ और भी बड़े धन हैं।


आचार्या रजनीश ओशो

पर ओशो का चिंतन..ध्यान हो तो धन भी सुंदर है। ध्यानी के पास धन होगा, तो जगत का हित ही होगा, कल्याण ही होगा। क्योंकि धन ऊर्जा है। धन शक्ति है। धन बहुत कुछ कर सकता है। मैं धन विरोधी नहीं हूं। मैं उन लोगों में नहीं, जो समझाते हैं कि धन से बचो। भागो धन से। वे कायरता की बातें करते हैं। मैं कहता हूं जियो धन में, लेकिन ध्यान का विस्मरण न हो।

ध्यान भीतर रहे, धन बाहर। फिर कोई चिंता नहीं है। तब तुम कमल जैसे रहोगे, पानी में रहोगे और पानी तुम्हें छुएगा भी नहीं। ध्यान रहे, धन तुम्हारे जीवन का सर्वस्व न बन जाए। तुम धन को ही इकट्ठा करने में न लगे रहो। धन साधन है, साध्य न बन जाए। धन के लिए तुम अपने जीवन के अन्य मूल्य गंवा न बैठो। तब धन में कोई बुराई नहीं है। मैं चाहता हूं कि दुनिया में धन खूब बढ़े, इतना बढ़े कि देवता तरसे पृथ्वी पर जन्म लेने को, लेकिन धन सब कुछ नहीं है। कुछ और भी बड़े धन हैं। प्रेम का, सत्य का, ईमानदारी का, सरलता का, निर्दोषता का, निर-अहंकारिता का। ये धन से भी बड़े धन हैं। कोहिनूर फीके पड़ जाएं, ऐसे भी हीरे हैं-ये भीतर के हीरे हैं।

एक दिन मुल्ला नसीरु द्दीन से किसी ने पूछा-सुना है कि तुमने नई फर्म बनाई है, कितने साझीदार हैं? मुल्ला ने कहा-अब आपसे क्या छिपाना। चार तो अपने ही परिवार के लोग हैं और एक पुराना मित्र। इस तरह पांच पार्टनर हैं। उसने पूछा- फर्म का नाम क्या रखा है? मुल्ला ने कहा-मेसर्स मुल्ला ऐंड मुल्ला ऐंड मुल्ला ऐंड मुल्ला ऐंड अब्दुल्ला कंपनी। उसने कहा-नाम तो बड़ा अच्छा है, मगर यह अब्दुल्ला कहां से बीच में आ टपका? दुखी स्वर में मुल्ला नसीरुद्दीन बोला-पैसा तो उसी बेवकूफ का लगा है। यहां मित्रता पैसे की है। संबंध पैसे के हैं।

हम धन का एक ही अर्थ लेते हैं कि दूसरों की जेब से निकाल लें। इससे कुछ हल नहीं होता। धन उसकी जेब से तुम्हारी जेब में आ जाता है, फिर तुम्हारी जेब से दूसरा कोई निकाल लेता है। धन जेबों में घूमता रहता है, लेकिन धन पैदा नहीं होता। अभी हमने यह नहीं सीखा कि धन का सृजन कैसे किया जाता है। अभी धन हमारे लिए शोषण का ही अर्थ रखता है। जो सच में समृद्ध देश हैं, उन्हें पता है कि धन शोषण नहीं, सृजन है। हमारा देश किसी देश से गरीब नहीं है, लेकिन समस्या यह है कि हम मूढ़तापूर्ण बातों को महत्त्वपूर्ण मानते हैं।



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