उद्देश्य
एक बड़ा प्रश्न हमारे अनुभव को रेखांकित करता है फिर चाहे हम उसके विषय में सजगता से सोचें अथवा नहीं. जीवन का उद्देश्य क्या है?
दलाई लामा |
मैंने इस विषय पर सोचा है और मैं अपने विचार उन लोगों के साथ बांटना चाहता हूं, इस आशा में कि वे उन लोगों के लिए प्रत्यक्ष और व्यावहारिक रूप से लाभदायक हो सके.
जीवन का उद्देश्य सुखी रहना है. जन्म के क्षण से ही, सभी मनुष्य सुख चाहते हैं, दु:ख नहीं. न ही सामाजिक अनुबंधन, न शिक्षा, न ही कोई सिद्धांत इसे प्रभावित कर सकते हैं. हमारे अंतर्मन से हम केवल संतोष की कामना करते हैं. मैं नहीं जानता कि इन अनिगनत आकाशगंगाओं, तारों, ग्रहों वाले ब्रह्मांड का कोई गहन अर्थ है अथवा नहीं, परंतु कम-से-कम यह तो स्पष्ट है कि हम मनुष्य जो इस धरती पर रहते हैं, के सामने यह एक कठिन कार्य है कि हम अपने लिए एक सुखी जीवन बनाएं. इसलिए इसका पता लगाना महत्त्वपूर्ण है कि कौन सी वस्तु अधिक-से- अधिक सुख दे सकती है. सबसे पहले तो सभी प्रकार के सुखों और दु:खों को मुख्यत: दो वर्गों में बांटा जा सकता है: मानसिक और शारीरिक.
इन दोनों में से चित्त ही है, जो हममें से अधिकांश को सबसे अधिक प्रभावित करता है. या तो हम बहुत ही गंभीर रूप से बीमार हों या फिर आधारभूत आवश्यकताओं से वंचित हो जाएं, हमारी शारीरिक स्थिति की भूमिका जीवन में गौण होती है. यदि हमारा शरीर संतुष्ट हो तो हम असल में उसकी उपेक्षा करते हैं. परंतु चित्त प्रत्येक घटना को दर्ज कर लेता है फिर चाहे वह घटना कितनी ही छोटी क्यों न हो? अत: हमारे अधिकांश गंभीर प्रयास मानसिक शांति लाने के लिए प्रयुक्त होने चाहिए.
हम दूसरों के सुख के विषय में जितना अधिक सावधान रहते हैं, हमारे अपने कल्याण की भावना उतनी अधिक होती है. दूसरों के प्रति एक सद्भाव का विकास करना अपने चित्त में स्वाभाविक रूप से चित्त को सहजता देता है. यह हममें जो भी भय अथवा असुरक्षा की भावना हो, उसे दूर करने में सहायक होता है और हमें किसी भी आने वाली बाधा का सामना करने की शक्ति देता है.
यह जीवन में सफलता का परम स्रोत है. हम इस संसार में जब तक जीवित हैं तब तक बाधाओं का सामना करना हमारे लिए अवश्यंभावी है. यदि ऐसे अवसरों पर हम आशा छोड़ कर निरु त्साहित हो जाएं, तो हम अपनी कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता को कम करते हैं.
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