शिक्षक कौन?
शिक्षक बुनियादी रूप से इस जगत में सबसे बड़ा विद्रोही व्यक्ति होना चाहिए. लेकिन शिक्षक है सबसे बड़ा दकियानूस और ट्रेडिशनलिस्ट.
![]() आचार्य रजनीश ओशो |
वही दोहराए जाता है पुराने कचरे को. आपने सुना है कि कोई शिक्षक क्रांतिपूर्ण हो? वह सबसे ज्यादा दकियानूस, ऑथरेडॉक्स है, इसलिए सबसे खतरनाक है. समाज उससे हित नहीं, अहित पाता है.
शिक्षक को होना चाहिए विद्रोही-कौन-सा विद्रोही? मकान में आग लगा दें आप, या कुछ और कर दें या जाकर ट्रेन उलट दें या बसों में आग लगा दें, मैं उनको नहीं कह रहा हूं, गलती से वैसा न समझ लें. मैं कह रहा हूं कि हमारे जो मूल्य हैं, हमारी जो वैल्यूज हैं उनके बाबत विद्रोह का रुख, विचार का रुख होना चाहिए कि यह मामला क्या है.
जब आप एक बच्चे को कहते हैं कि तुम गधे हो, नासमझ हो, बुद्धिहीन हो, देखो उस दूसरे को, वह कितना आगे है, तब विचार करें कि यह कितने दूर तक ठीक है, और कितने दूर तक सच. क्या दुनिया में दो आदमी एक जैसे हो सकते हैं? क्या सभंव है कि जिसको आप गधा कह रहे हैं, वह वैसा हो जाएगा जैसा कि आगे खड़ा है. क्या यह आज तक संभव हुआ है?
हर आदमी जैसा है, अपने जैसा है, दूसरे आदमी से कंपेरीजन का कोई सवाल ही नहीं. किसी दूसरे आदमी से उसकी कोई कंपेरीजन नहीं, उसकी कोई तुलना नहीं. एक छोटा कंकड़ है, वह छोटा कंकड़ है; एक बड़ा कंकड़ है, वह बड़ा कंकड़ है! एक छोटा पौधा है, वह छोटा पौधा है; एक बड़ा पौधा है, वह बड़ा पौधा है! एक घास का फूल है, वह घास का फूल है; एक गुलाब का फूल है, वह गुलाब का फूल है! प्रकृति का जहां तक संबंध है, घास के फूल पर नाराज नहीं है और गुलाब के फूल पर प्रसन्न नहीं है.
घास के फूल को भी प्राण देती है उतनी ही खुशी से जितनी गुलाब के फूल को देती है. और मनुष्य को हटा दें तो घास के फूल और गुलाब के फूल में कौन छोटा है, कौन बड़ा? कोई छोटा और बड़ा नहीं है! घास का तिनका और बड़ा भारी चीड़ का दरख्त..तो यह महान है और यह घास का तिनका छोटा है?
तो परमात्मा कभी का घास के तिनके को समाप्त कर देता और चीड़ के दरख्त रह जाते दुनिया में. नहीं, लेकिन आदमी की वैल्यूज गलत हैं. स्मरण रखें कि इस संबंध में मैं आपसे कुछ गहरी बात कहने का विचार रखता हूं. वह यह कि जब तक दुनिया में हम एक आदमी को दूसरे आदमी से कंपेयर करेंगे तब तक हम गलत रास्ते पर चलते रहेंगे.
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