सत्य
अपना अनुभव ही सत्य है और इसके अतिरिक्त कुछ भी सत्य नहीं है. जिस बोलने के साथ यह आग्रह होता है कि मैं कहता हूं, उस पर इसलिए विश्वास करो क्योंकि मैं कहता हूं.
आचार्य रजनीश ओशो |
जिस बोलने के लिए श्रद्धा की मांग की जाती है-अंधी श्रद्धा की वह, बोलना उपदेश बन जाता है. मेरी न तो यह मांग है कि मैं कहता हूं उस पर आप विश्वास करें. न ही मेरा यह कहना है कि जो मैं कहता हूं वही सत्य है.
इतना ही मेरा कहना है कि किसी के भी कहने के आधार पर सत्य को स्वीकार मत करना, और मेरे कहने के आधार पर भी नहीं. सत्य तो प्रत्येक व्यक्ति की निजी खोज है. कोई दूसरा किसी को सत्य नहीं दे सकता. मैं भी नहीं दे सकता हूं, कोई दूसरा भी नहीं दे सकता है. सत्य दिया नहीं जा सकता, पाया जरूर जा सकता है. इसलिए मैं जो कह रहा हूं, उससे आपको कोई सत्य ही दिखा दे रहा हूं, ऐसा नहीं है. फिर पूछा है कि उपदेश क्यों दे रहा हूं?
न ही इसमें मुझे कोई आनंद उपलब्ध होता है कि आप जो मैं कहूं, प्रशंसा करें, उसके लिए तालियां बजाए, उसका समर्थन करें. न ही मेरा यह कोई व्यवसाय है. फिर मैं क्यों कुछ बातें कह रहा हूं. एक आदमी को दिखाई पड़ता हो कि आप जिस रास्ते पर जा रहे हैं वह रास्ता गड्ढों में कांटों में ले जाने वाला है और आपसे कह दे कि इस रास्ते पर कांटे हैं और गड्ढे हैं.
वह आपको कोई उपदेश नहीं दे रहा है. वह केवल इतना कह रहा है कि जिस रास्ते से मैं परिचित हूं उस रास्ते पर उसी गड्ढे में उन्हीं कांटों से किसी को जाते हुए देखना अमानवीय है, चुपचाप देख लेना अमानवीय है, अत्यंत हिंसक है. सड़क के किनारे प्रकाश के खंभे लगे हुए हैं, स्ट्रीट लाइट लगे हुए हैं. जिस आदमी ने सबसे पहले फिलाडेल्फिया में सबसे पहला रास्ते के किनारे का प्रकाश लगाया, वह था बेंजामिन फ्रेंकलिन. तब तक दुनिया में रास्तों के किनारे कोई प्रकाश नहीं लगाए जाते थे, रास्ते अंधेरे होते थे.
बेंजामिन फ्रेंकलिन ने सबसे पहले अपने घर के सामने एक बत्ती लगाई, एक खंभा लगाया. पड़ोस में लोगों ने कहा, क्या तुम यह दिखलाना चाहते हो कि तुम्हारे पास पैसे हैं? क्या तुम यह दिखलाना चाहते हो कि तुम्हारे घर में बड़ा प्रकाश है? यह प्रकाश किसलिए लगाना चाहते हो? क्या घर की सजावट करना चाहते हो? बेंजामिन फ्रेंकलिन ने कहा, कि नहीं, रास्ते पर ऊबड़-खाबड़ पत्थर हैं, रात में यात्री भटक जाते हैं, रास्ता खोजना मुश्किल हो जाता है. इसलिए मैं एक प्रकाश लगाता हूं.
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