बुरी नजर

Last Updated 15 Nov 2017 04:59:47 AM IST

जब कोई व्यक्ति हमें ईष्र्या की नजर से देखता है तो हम कहते हैं, ‘बुरी नजर लग जाती है.’ क्या वाकई ‘बुरी नजर’ जैसी कोई चीज होती है?


जग्गी वासुदेव

ऐसा सचमुच है तो क्या हमें इसकी चिंता करनी चाहिए और हम इससे अपना बचाव कैसे कर सकते हैं? आप माथे पर लाल रंग से आंख बना लें तो बुरी नजर नहीं लगेगी. यही वजह थी कि भारतीय महिलाएं माथे पर लाल रंग की बड़ी बिंदी लगाती थीं.

आपके मन में एक खास तरह की एकाग्रता है, और इसे ऊर्जावान कर दिया जाए, आप अपने विचारों को सशक्त करने में सक्षम हों, तो विचार बेहद शक्तिशाली हो उठते हैं. गौर कीजिए कि जब आप किसी व्यक्ति से नाराज होते हैं, तो आपका मन एक बिंदु पर केंद्रित हो जाता है.

दरअसल, जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के प्रभाव में होता है, तो सबसे पहला प्रभाव उसकी सबसे बाहरी परत में होता है. फिर संभव है कि धीरे-धीरे यह उसके भीतर उतरता जाए और फिर उसे परेशान करे. यह एक बीमारी का रूप भी ले सकता है, इससे मृत्यु तक हो सकती है. मन कई तरह से आश्चर्यजनक काम कर सकता है, इसमें जबरदस्त संभावनाएं छिपी हैं.

लेकिन लोग इससे अलग तरीके का काम लेते हैं. ऐसी जो भी चीजें बनाई जाती हैं, जो जीवन के स्तर को आगे बढ़ा सकती हैं, जो जीवन बचा सकती हैं, उसे सुंदर बना सकती हैं, वही चीजें जीवन को बर्बाद भी कर सकती हैं. रोज ऐसा हो रहा है. तो बेहतर होगा कि खुद को ऐसा बनाएं कि कोई भी चीज, या व्यक्ति, आप जैसे भी हैं, या जो भी हैं, उसे प्रभावित न कर पाए. यही चेतना का मतलब है.

आप चेतनापूर्ण हो गए तो आप स्वाभाविक तौर पर अपने भीतर असुखद चीजों के बदले सुखद चीजों को ही पसंद करेंगे. एक बार आपने सुखद चीजों को चुन लिया तो फिर आपके भीतर से भी सुखद अहसास ही बाहर आएगा. तब जो भी आपके संपर्क में आएगा, वह सुखद अनुभूति से भर उठेगा. आप अचेतन हैं, सिर्फ  तभी अप्रिय चीजों को चुनेंगे.

आप सचमुच चेतनापूर्ण हैं, तो मधुरता आपकी स्वाभाविक पंसद होगी. अपने भीतर यह चीज ले आएं और तब किसी चीज को देखें तो सुखद चीजें घटित होंगी. लेकिन आप खुद अपने भीतर अप्रियता से भरे हैं, ईष्र्या से भरे हैं, और तब किसी चीज को देखेंगे तो बुरी चीजें ही घटित होंगी. तो क्या ऐसी चीजों का वजूद है? बिल्कुल है. लेकिन आपको खुद को इनसे प्रभावित होने देना चाहिए? बिल्कुल नहीं.



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