आत्मा का यौवन

Last Updated 14 Nov 2017 03:18:23 AM IST

कबीर कहते हैं : तन को चढ़ा दूंगा, मन को चढ़ा दूंगा. तन से प्रेम करूंगा, मन से प्रेम करूंगा.


आचार्य रजनीश ओशो

ये जो पांच तत्वों के बराती हैं, ये जो पांच महातत्व हैं, जिनसे शरीर बना है, ये सब चढ़ा दूंगा; जो भी मेरे पास है सब चढ़ा दूंगा. शरीर से प्रेम, मन से प्रेम-पढ़ कर खयाल आना स्वाभाविक है कि कबीर आत्मा से प्रेम क्यों नहीं कहते? समझना जरूरी है. कबीर कहते हैं : तन से करूंगा प्रेम, मन से करूंगा प्रेम. ये जो पंचतत्व बराती हैं, ये जो महातत्व अब तक मुझे ले आए, इन सब को वार दूंगा तुम्हारे ऊपर, तुम्हारे चरणों में रख दूंगा.’

वे आत्मा की बात नहीं कहते हैं. तुम तो जब किसी के प्रेम में पड़ते हो तो तुम कहते हो, आत्मा से प्रेम करूंगा-आत्मिक प्रेम! और कबीर केवल शरीर और मन की बात करते हैं. कारण है और कारण यह है कि आत्मा तो राम ही है. वहां तो कोई भेद नहीं है. भेद तो शरीर और मन तक ही है. जहां तक भेद है वहां तक चढ़ाया जा सकता है.

जहां भेद नहीं है, वहां कैसे चढ़ाओगे? आत्मा में तो प्रेमी और प्रेयसी एक है. वहां तो राम में और राम के भक्त में रत्ती भर भी फासला नहीं है. वहां कौन करेगा प्रेम और किसको करेगा प्रेम? तो कबीर कहते हैं : ‘जो भी मेरे पास है, वह सब चढ़ा देता हूं. अब मेरे प्रीतम आ गए-जिनकी प्रतीक्षा थी; जिनके लिए तैयारी थी; जिनके लिए इतनी लम्बी यात्रा और बारात थी!

जन्मों-जन्मों की खोज पूरी हुई! दर्शन उस तत्व के जिसके लिए सारी तड़पन थी. अब मैं सब चढ़ाने को तैयार हूं.’ ‘तन रति करि मैं मन रति करहूं, पंचतत बराती. रामदेव मोरे पाहुनै आए, मैं जोवन में माती.’ और मेरे प्रीतम मेरे द्वार आए, मेरे पाहुने हुए हैं और मैं यौवन में मदमत्त हूं. एक तो यौवन है जो शरीर से आता है, वह भी मदमत्त कर देता है. युवा व्यक्ति की बात ही और होती है; बुढ़ापा तो ऐसे है जैसे बाढ़ आई थी नदी में और जा चुकी. कभी देखी नदी बाढ़ के बाद?

सब सूख-सूख गया, धारा जगह-जगह खंडित हो गई, टूट गई, रेत-ही-रेत का फैलाव दिखाई पड़ता है और जा चुकी नदी अपने बहाव में, कूड़ा-करकट, न मालूम क्या-क्या किनारे पर छोड़ गई. जैसे कोई घटना घटी थी और अब सब अभाव हो गया. देखी है बाढ़ आई नदी? तब उसकी चाल में एक मस्ती होती है -जैसे शराब पिये हो. बाढ़ में आई नदी मदमस्त है, युवा है. ठीक वैसे ही शरीर का यौवन है. जब शरीर की शक्तियां बाढ़ में होती हैं, तब ईश्वर पर भरोसा नहीं आता; तब अपने पर ही भरोसा बहुत मालूम होता है.



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment