शरीर
शरीर मात्र साधन है. उसके संबंध में कोई दुर्भाव मन में न रखें. ऐसी बहुत-सी बातें प्रचलित हो गई हैं कि शरीर दुश्मन है, और शरीर पाप है, और शरीर बुरा है, और शत्रु है, और इसका दमन करना है.
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मैं आपको कहूं, कि वे गलत हैं. न शरीर शत्रु है, न शरीर मित्र है. आप उसका जैसा उपयोग करते हैं, वही वह साबित हो जाता है. और इसलिए शरीर बड़ा अदभुत है! शरीर बड़ा अदभुत है. दुनिया में जो भी बुरा हुआ है, वह भी शरीर से हुआ है; और जो भी शुभ हुआ है, वह भी शरीर से हुआ है. शरीर केवल एक उपकरण है, एक यंत्र है.
साधना भी जरूरी है कि शरीर से शुरू हो, क्योंकि बिना इस यंत्र को व्यवस्थित किए आगे कोई भी नहीं बढ़ सकता. शरीर को बिना व्यवस्थित किए कोई आगे नहीं बढ़ सकता. तो पहला चरण है, शरीर-शुद्धि. शरीर जितना शुद्ध होगा, उतना अंतस में प्रवेश में सहयोगी हो जाएगा. शरीर-शुद्धि के क्या अर्थ हैं?
शरीर-शुद्धि का पहला तो अर्थ है, शरीर के भीतर, शरीर के संस्थान में, शरीर के यंत्र में कोई भी रु कावट, कोई भी ग्रंथि, कोई भी कांप्लेक्स न हो, तब शरीर शुद्ध होता है. समझें, शरीर में कैसे कांप्लेक्स और ग्रंथियां पैदा होती हैं.
अगर शरीर बिलकुल निर्गथ हो, उसमें कोई ग्रंथि न हो, शरीर में कहीं कोई अटकाव न हो, तो शरीर शुद्ध स्थिति में होता है और अंतस प्रवेश में सहयोगी हो जाता है. अगर आप बहुत क्रुद्ध होंगे, क्रोध करेंगे और क्रोध को प्रकट न कर पाएंगे, तो उस क्रोध की जो ऊष्मा और गर्मी पैदा होगी, वह शरीर के किसी अंग में ग्रंथि पैदा कर देगी. आपने देखा होगा, क्रोध में हिस्टीरिया आ सकता है, क्रोध में कोई बीमारी आ सकती है. भय में कोई बीमारी आ सकती है.
अभी जो सारे प्रयोग चलते हैं स्वास्थ्य के ऊपर, उनसे ज्ञात होता है कि सौ बीमारियों में कोई पचास बीमारियां शरीर में नहीं होतीं, मन में होती हैं. लेकिन मन की बीमारियां शरीर में ग्रंथि पैदा कर देती हैं. और शरीर में अगर ग्रंथियां पैदा हो जाएं, शरीर में अगर गांठें पैदा हो जाएं, तो शरीर का संस्थान जकड़ जाता है और अशुद्ध हो जाता है. तो शरीर-शुद्धि के लिए सारे योग ने, सारे धर्मो ने बड़े अदभुत और क्रांतिकारी प्रयोग किए हैं.
और उन प्रयोगों को थोड़ा समझना जरूरी है. और अगर अपने शरीर पर आप करते हैं, तो आप थोड़े ही दिनों में हैरान हो जाएंगे, यह शरीर तो बड़ी अद्भुत जगह है, बड़ी अद्भुत बात है. तब यह दुश्मन नहीं मालूम होगा, यह बड़ा साथी मालूम होगा और आप इसके प्रति अनुगृहीत होंगे.
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